अंगूर की घरेलू खेती लगभग 8.000 साल पहले पूर्व के निकट शुरू हुई थी।
प्राचीन यूनानियों का मानना था कि डायोनिसस देवता उनके लिए पहली अंगूर की बेल लाए थे।
अक्सर यूनानी देवता डायोनिसस को चित्रों में अंगूर का गुच्छा या वाइन का गिलास पकड़े हुए दिखाया जाता है।
मिस्र की प्राचीन चित्रलिपि में भी अंगूर का चित्रण दिखाया गया है।
कई मामलों में, अंगूर के उत्पादक बेल के ऊपरी तंतुओं के दिशा-अभिविन्यास और मुड़ने से पौधों की सिंचाई की जरूरतें समझते हैं।
भूमध्यसागरीय व्यंजनों में से एक पारंपरिक व्यंजन (डॉल्मेड्स) अंगूर के बेल की पत्तियों से बनाया जाता है।
नोबल रॉट नामक एक फफूंदी रोग की वजह से अनोखी और शानदार इंद्रिय ग्राही विशेषताओं वाली मीठी वाइनों का उत्पादन किया जा सकता है। कुछ शब्दों में कहा जाए तो इसकी वजह से पानी वाष्प बनकर उड़ जाता है और इसलिए शेष रस में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है।
लाल अंगूर और वाइन में उच्च एंटीऑक्सीडेंट क्षमता होती है।
अंगूर के बेलों के उत्पादों में सीधे खाये जाने अंगूर, सूखे अंगूर (करंट्स), वाइन, अंगूर का जूस, गाढ़ा रस, निकाला गया अर्क, पत्तियां और विनेगर शामिल होते हैं। उपरोक्त में से प्रत्येक के लिए अलग-अलग किस्मों का प्रयोग किया जाता है।
