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डिजिटल माध्यम से कैसे बेहतर करे खेती

Posted on August 11, 2021August 11, 2021 By User No Comments on डिजिटल माध्यम से कैसे बेहतर करे खेती

भारत में लगभग 55 प्रतिशत जनसंख्या खेती पर निर्भर करती है। कृषि में नवीन तकनीकों के साथ-साथ किसानों को इससे अवगत कराने की जरूरत है।आजकल अधिकांश किसान अपने मोबाइल पर संदेश के माध्यम से जानकारी हासिल करते हैं।ज्ञात हो कि 85 प्रतिशत किसान छोटे एवं मझौले किसान की श्रेणी में आते हैं। खेत में नवीन तकनीकों के साथ-साथ उत्पाद को सही बाजार तक ले जाने के लिए भी कार्य मोबाइल के द्वारा आसानी से हो जाता है। ई-नाम जैसे प्लेटफार्म के माध्यम से किसान आसानी से बाजार से जुड़ सकते हैं।

सरकार द्वारा भी किसान एवं बाजार को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। इ-मंडियों का विस्तार किया जा रहा है।जहां एक ओर कृषि कार्य आवश्यक हैं तो दूसरी ओर उत्पाद का मूल्य व बाजार में उसके हर सही मूल्य की जानकारी के लिए ऑनलाइन पोर्टल भी उपलब्ध कराए जा रहे  हैं।

ई-नाम– ईनाम मंडियों के अनुसार किसानों को पूरे देश में एक राष्ट्रीय मंडी को जोड़ने का काम किया जा रहा है।इसके अंतर्गत कृषि उद्दमी और फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन को सही कृषि उत्पाद ऋंखला प्रदान करती है। इसके लिए किसान हैल्पलाइननं. 1800 270 0224 पर कॉल कर जानकारी हासिल कर सकते हैं।

कस्टम हायरिंग सिस्टम-

यह भी किसानों की आय दो गुनी करने के लिए एक सराहनीय सोच है।क्योंकि इसके माध्यम से किसानों को फार्म मशीनरी, बीज, कीटनाशक आदि ऑनलाइन उपलब्ध कराने के लिए सही प्लैटफार्म चुना गया है।

मृदा स्वास्थ्य जांच में नवीन तकनीकी –

भारत सरकार इसके लिए आधुनिक तकनीकी पर आधारित सेंसर बेस्ड मैथेड का इस्तेमाल करना चाहती है। जिससे की मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्वों एवं सूक्ष्म तत्वों का मात्रा का अंदा जाल गाया जा सकता है। यदि इन तकनीकों का इस्तेमाल देश में बड़े स्तर पर किया जाता है तो वाकई भूमि की उर्वरता का ख्याल रखते हुए उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। इसे दो चरणों में प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य बनाया गया है। इस दौरान पोर्टल पर तीन करोड़ चैबीस लाख तिरसठ हजार पांच सौ इक्वायन मृदा स्वास्थ्य कार्ड हैं।

मोबाइल एवंइंटरनेट का खेती में उपयोग-

किसानों की सुविधा के लिए आज ऑनलाइन वेब पोर्टल एवं मोबाइल एप्स का प्रचलन बढ़ाया जा रहा है।किसानों को दी जाने वाली अधिकतर सुविधाओं के लिए यह प्लैटफार्म चुने जा रहे हैं।

वेबसाइट एवं पोर्टल-

संचार माध्यमों को बढ़ाते हुए कृषि मंत्रालय भी किसानों को उसे सूचना प्रदान करने के त्वरित जानकारी उपलब्ध करा रही है। इस दौरान किसान इंटरनेट के माध्यम से फसलबीमा, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, एजी मार्केट,  इ-नाम, फार्मर्स पोर्टल के द्वारा तत्काल जानकारी हासिल कर सकते हैं।बाजार भाव के साथ-साथ सरकार द्वारा प्रस्तावित स्कीमों का लाभ किसान ऑनलाइन उठा सकते हैं।

मोबाइल ऐप-

किसान सुविधा एप्प-

इसके माध्यम से किसान पांच महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।मौसम, इनपुट डीलर्स, बाजार भाव, पौध-प्रतिरक्षा एवं विशेषज्ञों की सलाह आदि सुविधाएं इस एप्प के माध्यम से किसान हासिल कर सकते हैं। जाहिर है कि किसान आस-पास की जलवायु के अनुसार खेती करना चाहता है साथ ही मौसम की मार से खेती को बचाना चाहता है। जिसके लिए यह एप्प किसानों को हर संभव मदद करते हुए जानकारी दिलाता है।

पूसा कृषि एप्प-

यह माध्यम किसानों को आधुनिक अनुसंधानों के बारे में बताता है।वास्तव में यह एप्प प्रयोगशाला से लेकर खेती तक सूचना का आदान-प्रदान करता है।

एजीमार्केट एप्प-

यह किसान को उसके मोबाइल की लोकेशन से लगभग 50 किमी. की दूरी पर बाजार के भाव की जानकारी दिलाता है। यह अपने आप डिवाइस लोकेशन को ढूंढ लेता है।

क्राप इंश्योरेंश एप्प-

यह फसल बीमा के लिए संबंधित किसान का प्रीमियम , क्षेत्रफल, ऋण की राशि बताता है।

मोबाइल का उपयोग-

एमकिसान  पोर्टल जैसे प्लैटफार्म से किसान विशेषज्ञों की सलाह  प्राप्त कर सकते हैं।जैसे  भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक, राज्य सरकार, मौसम विभाग एवं कृषि विश्वविद्यालयों के साथ-साथ किसान भी इस पोर्टल से जुड़े हुए हैं।

इस बीच मौसम की जानकारी में सामान्यता बारिश की संभावना, तापमान की जानकारी के हिसाब से किसान बीज का चुनाव के साथ-साथ फसल की बुवाई का समय चुन सकता है। जिससे उसे नुकसान होने की संभावना कम होती है।

तो वहीं बाजार के भाव के लिए उसे सही भाव की जानकारी हासिल हो सकती है।

किसानकॉलसेंटर- कृषि मंत्रालय के द्वारा किसान कॉल सेंटर सन् 2004 में यह पहल की गई थी। इससे किसान सुबह छह बजे से लेकर रात दस बजे तक टोलफ्री नं 1800-180-1551 पर कॉल कर किसी भी समस्या का निदान पा सकते हैं। यहां कॉल को रिसीव कर रहे कार्यकर्ता के द्वारा विशेषज्ञ को कॉल भेजी जाती है जिससे किसान संवाद कर अपनी समस्या बता सकते हैं और निवारण के लिए सुझाव प्राप्त कर सकते हैं। लगभग 25,00 कॉल प्रतिदिन रिसीव की जाती है।

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