पॉलीहाउस में विभिन्न पहाड़ी क्षेत्रों में टमाटर उत्पादन की अपार संभावनाए हैं क्योंकि खुले वातावरण में तैयार टमाटर की फसल कम गुणवत्ता व कम पैदावार वाली होती हैं तथा बीमारी व कीटों से बचाने के लिए किसान इन फसल पर अत्यधिक छिड़काव करते हैं जिसके कारण वातावरण प्रदूषित होता हैं तथा लोगों को विभिन्न घातक बीमारियाँ होने का डर बना रहता हैं।
शिमला मिर्च की तरह टमाटर में भी जीवाणु मुरझन रोग का प्रकोप पाया गया हैं तथा इसके सफल उत्पादन के लिए जीवाणु मुरझन ग्रसित क्षेत्रों में इस रोग की प्रतिरोधी संकर किस्में ही लगाये तथा ऐसी संकर किस्मों का चुनाव करें जिनका आकार गोल या उच्च गोल हो तथा इसके फल लम्बी अवधि तक तरोताजा रहें। इसके साथ-साथ चयनित संकर प्रजातियों में ज्यादा दिनों तक मंडीकरण योग्य फल देने की क्षमता का होना भी आवश्यक हैं।
महत्वपूर्ण सस्य क्रियायें : टमाटर की केवल अनियमित बढ़वार वाली संकर किस्में जैसे की अमीशा, नवीन 2000 प्लस (जीवाणु मुर्झान रोग प्रतिरोधी) किस्में ही लगाए। टमाटर की भी मांग बढ़ रही हैं जिसके लिए किसान बी.एस.एस.- 366 किस्म (जीवाणु मुरझन रोग सहनशील लगाए).
पॉलीहाउस की ऊंचाई के अनुसार 2 टहनियां लेकर रस्सी या सुतली से ट्रेनिंग करें तथा अतिरिक्त टहनियों की काट-छाट करते रहें।
सिंचाई : ड्रिप विधि से सिंचाई करें तथा तरल पौधे लगाने के तीन सप्ताह बाद भूमि के कम उपजाऊपन के अनुसार सप्ताह में एक या दो बार दें तथा अंतिम तोड़ाई से 15 दिन पहले तरल खाद बंद कर दे।
