भारत एक प्रमुख सब्जी उत्पादक देश है। यहाँ सब्जियों की खेती पर्वतीय क्षेत्रों से लेकर समुद्र के तटवर्ती भागों तक सफलतापूर्वक की जाती है। हमारे देश की जलवायु में काफी भिन्नता होने के कारण देश के बढ़ती हुई जनसख्या को देखते हुए इसे और बढ़ाने की आवश्कता है। एक अनुमान वर्ष 2020 तक देश की आबादी 135 करोड़ के लगभग होगी जिसके लिए 15 करोड़ टन सब्जी की आवश्कता होती। हमारे देश में कुपोषण की समस्या से निपटा जा सकता है। सब्जियों के अधिक उत्पादन से जहाँ हम एक ओर अपने भोजन में आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति हेतु अधिक सब्जी का प्रयोग कर सकेगें वहीं अतिरिक्त पैदावार को विदेशों में बेचकर पहले से कहीं अधिक विदेशी मुद्रा भी कम सकेगे।
सब्जी अनुसधान द्वारा उन्नतशील किस्मों व संकर के विकास के साथ-साथ फसल उत्पादन की उच्च तकनीकों का विकास भी किया गया है। कुछ सब्जियों की मौसमी खेती करने के लिए किस्में निकली गई हैं जो किसान को बहुत अधिक लाभ देती है। कीड़े तथा बीमारियाँ सब्जी फसलों को बहुत अधिक नुकसान करते हैं। इसी बात को ध्यान में रखकर कई सब्जियों में ऐसी किस्में निकाली गई है, जिनमें कीड़े व बीमारी नहीं लगती है। कुछ सब्जियां अभी तक कम जानी पहचानी रही है। ऐसी सब्जियों की उप्तादन तकनीक अपनी जलवायु व मिट्टी के अनुकूलन तैयार की गई है, जिससे आज इन नई की पैदावार बढ़ाने के लिए पौधे नियामकों का प्रयोग किये गये हैं तथा आज कई प्रकार के पौध नियामकों के सही प्रयोग की तकनीक किसानों के लिए उपलब्ध है सब्जियों की खेती नर्सरी अथवा पौधशाला में पौध तैयार करना एक विशेष तकनीकी काम है, जो किसान सफल पौध तैयार नहीं कर सकते हैं ऐसी सब्जियों की सफल खेती भीं नहीं कर सकते हैं। सब्जियों की पौध को साधारणतः तथा असाधारण मौसम दशाओं में सफलतापूर्वक उगाने के लिए अब वैज्ञानिक तकनीक उपलब्ध हैं जिन्हें अपनाकर सब्जियों की लाभदायक खेती की जा सकती है।
सब्जयों की अधिकतम लेने के लिए जैविक खाद, जीवाणु खाद, रासायनिक खादों तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों के प्रयोग की सही जानकारी होना आवश्यक है। विभिन्न प्रकार की खेती प्रणालियों जैसे-एकल खेती, मिश्रित खेती, अन्त्तः खेती, सहयोगी तथा रिले खेती आदि में सब्जियों के फसल चक्रों को सफलतापूर्वक सम्मिलित कर प्रति इकाई क्षेत्र से एक निश्चित समय में बहुत अधिक लाभ कमाया जा सकता है।
