Skip to content
  • उत्तराखंड सरकार
  • Government of Uttarakhand
Rajya Kisan Ayog

Rajya Kisan Ayog

राज्य किसान आयोग, उत्तराखण्ड

  • Home
  • About Us
  • Blog
  • Contact Us
  • Ayog Meeting
  • Meeting With Farmers
  • Scheme Exclusion
  • Guidelines
  • FAQ
  • अन्य लिंक
  • Toggle search form

आलूबुखारा या प्लम की खेती कैसे करें, जानिए जलवायु, किस्में, रोग रोकथाम, पैदावार

Posted on December 15, 2020December 15, 2020 By User No Comments on आलूबुखारा या प्लम की खेती कैसे करें, जानिए जलवायु, किस्में, रोग रोकथाम, पैदावार

आलूबुखारा या प्लम की खेती कश्मीर, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखण्ड में प्रमुख रूप से की जाती है| कुछ किस्में उप-पर्वतीय तथा उत्तरी पश्चिमी मैदानी भागों में भी पैदा की जाती है, ये सहिष्णु किस्में हैं और ये किस्में इस जलवायु में आसानी से पैदा होती है| आलूबुखारा को प्लम और अलूचा नाम से भी जाना जाता है|

यदि बागान बंधु आलूबुखारा या प्लम की बागवानी से अधिकतम और गुणवत्तायुक्त उत्पादन चाहते है, तो इसकी खेती वैज्ञानिक तकनीक से करनी चाहिए| इस आर्टिकल में कृषकों की जानकारी के लिए आलूबुखारा या प्लम की खेती वैज्ञानिक तकनीक से कैसे करें, की जानकारी का उल्लेख विस्तार से किया गया है|

यूरोपीय- प्लम को प्रुनसडोमेस्टिका कहते हैं और यह पश्चिमी एशिया का देशज है|

जापानी- प्लम का वैज्ञानिक नाम प्रूनससालिसिना है जो चीन का देशज समझा जाता है| दोनों रोजेसी कुल के अन्तर्गत आते है|

उपयोग- आलूबुखारा एक स्वास्थवर्धक रसदार फल है| इसमें मुख्य लवण, विटामिन, प्रोटीन, कार्वोहाडट्रेट आदि प्रचुर मात्रा में पाये जाते है| आलूबुखारा फल ताजे खाये जाते है और विभिन्न प्रकार के उत्पाद जैसे जैम, जैली, चटनी एवं अच्छी गुणवत्ता वाली बरांडी बनायी जाती है| बीज में पाये जाने वाले 40 से 50 प्रतिशत तेल का उपयोग सौन्दर्य प्रसाधनों में दवा के रूप में प्रयुक्त होता है

उपयुक्त जलवायु

आलूबुखारा या प्लम की खेती पर्वतीय आंचल और मैदानी क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जाती है| इसका पेड़ लगाने के दो वर्ष बाद ही फूलना-फलना आरम्भ कर देता है और अधिक परिपक्वता के साथ साथ इसके पौधे से काफी अधिक उपज मिलती है|

आलूबुखारा या प्लम की खेती के लिए शीतल और गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है| यूरोपीय आलूबुखारा को 7º सेल्सीयस से कम ताममान लगभग 800 से 1500 घण्टों तक चाहिए जब कि जापानी आलूबुखारा को उक्त तापमान 100 से 800 घण्टो तक चाहिए| यही कारण है कि इसका उत्पादन कम ऊँचाई वाले स्थानों में और मैदानी क्षेत्रों में भी किया जाता है|परन्तु इसकी उत्तम खेती समुद्रतल से 900 और 2500 मीटर वाले क्षेत्रों में होती है, ऐसे स्थान जहाँ बसन्त ऋतु में पाला पड़ता हो इसकी खेती के लिये अनुपयुक्त होते है| यूरोपीय अधिक ठंडक वाले तथा जापानी आलूबुखारा कम ठंडक वाले स्थानों में सफलतापूर्वक उगाये जाते है|

भूमि का चयन

आलूबुखारा या प्लम की खेती लगभग सभी प्रकार की भूमियों में की जा सकती है, लेकिन उपजाऊ अच्छे जल-निकास वाली गहरी 1.5 से 2 मीटर गहरी भूमि खेती के लिये उपयुक्त होती है| अधिक अल्यूमिनियम तत्व वाली और अधिक अम्लता वाली मिट्टी आलूबुखारा के लिए उपयुक्त नहीं है|

उन्नत किस्में

आलूबुखारा या प्लम की खेती के लिए आपको अनेक किस्में मिल जाएंगी लेकिन हम यहां कुछ किस्मों के नामों का सुझाव दे रहे है, जो व्यावसायिक तौर पर उगाई जाती है, जैसे-

1. समुद्र तल से 2000 मीटर से अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों के लिये सलिसिनावर्ग की प्रमुख किस्में-

जल्दी पकने वाली किस्में- फर्स्ट प्लम, रामगढ़ मेनार्ड, न्यू प्लम आदि प्रमुख है|

मध्य समय में पकने वाली किस्में- विक्टोरिया, सेन्टारोजा आदि आदि प्रमुख है|

देर से पकने वाली किस्में- मेनार्ड, सत्सूमा, मैरीपोजा आदि आदि प्रमुख है|

2. समुद्र तल से 2000 मीटर से अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों के लिये डोमेस्टिकावर्ग की मुख्य किस्में- ग्रीन गेज, ट्रान्समपेरेन्ट गेज, स्टैनले, प्रसिडेन्ट आदि|

सुखाकर खाने वाली प्रून किस्में- एगेन, शुगर प्रून तथा इटैलियन प्रून आदि|

3. समुद्र तल से 1000 मीटर तक ऊँचाई वाले क्षेत्रों के लिये- फंटीयर, रैड ब्यूट, अलूचा परपल, हो, जामुनी, तीतरों, लेट यलो और प्लम लद्दाख प्रमुख है|

कुछ प्रमुख किस्मों का वर्णन इस प्रकार है, जैसे-

फंटीयर- फल सैंटारोजा से भारी और आकार में बड़ा, छिलका गहरा लाल बैंगनी, गूदा गहरे लाल रंग का, मीठा, स्वादिष्ट, सख्त, एक समान मीठा, सुगन्धित, गुठली से अलग होने वाला, फल भण्डारण की अधिक क्षमता तथा जून के अन्तिम सप्ताह तक पककर तैयार, पैदावार अधिक, पौधा ओजस्वी, सीधा ऊपर की ओर बढ़ने वाला, अधिक फलन के लिए परपरागण आवश्यक, इसके लिए सैन्टारोजा अच्छी परागण किस्म है|

Post

Post navigation

Previous Post: मेहंदी की उन्नत तरीके से खेती कर सालाना कमाएं लाखों
Next Post: जरबेरा की खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

News & Updates

The First Meeting is being conducted on 02/08/2021.

National Website

  •  National portal of India
  •  Ministry of Comm. & IT
  •  Portal for Public Grievances
  •  Government Web Guidelines
  •  National Knowledge Network

Uttarakhand Govt. Websites

  •  Election Commission of India
  •  Chief Electoral Officer – Uttarakhand
  •  Uttarakhand Tourism Development Board
  •  Uttarakhand Government Orders
  •  Uttarakhand Transport Corporation (UTC)

Citizen Services

  •  e-District Jan Seva Kendra
  •  Tax Department
  •  e-Tendering System
  •  Court Cases
  •  MDDA

State at a Glance

  •  Governor
  •  Chief Minister
  •  Raj Bhawan
  •  uttarakhand vidhan sabha
  •  Uttarakhand State AIDS Control Society

Copyright © 2025 Rajya Kisan Ayog.

Powered by Uttarakhand Rajya Kisan Ayog

Complaint
Enquiry
Suggestion Box
Subscribe

If you opt in above we use this information send related content, discounts and other special offers.