उत्तराखंड दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना का शुभारंभ करते हुए योजना के तहत लघु, सीमान्त एवं गरीब किसानों को मुहैया कराये जाने वाले विभिन्न लाभों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पहाड़ों में किसानों की आय में वृद्धि करने तथा उन्हें मिश्रित खेती करने के लिए योजना के तहत लाभान्वित किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि जिला मुख्यालय पौड़ी में शीघ्र ही ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग का मुख्यालय स्थापित किया जाएगा। इसका आदेश जारी कर दिया गया है। पलायन आयोग की रणनीति के तहत पहाड़ के भौगोलिक बनावट के आधार पर उसे विकसित किया जाएगा।
उत्तराखंड सरकार ने दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना का शुभारम्भ किया है। इस योजना के तहत राज्य सरकार पात्र किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए शुरू की गई है। इस किसान कल्याण योजना/ कृषि ऋण योजना के अंतर्गत, छोटे और सीमांत किसानों और सीमा क्षेत्रों में रहने वाले किसानों को सरकार केवल 2% ब्याज दर पर एक लाख रुपये तक के आसान ऋण उपलब्ध करायेगा।
इस किसान कल्याण योजना/ कृषि ऋण योजना का उद्देश्य राज्य में किसानों की वित्तीय स्थिति में सुधार करना है ताकि वे अपनी क्षमता का पता लगा सकें। यह कृषि ऋण योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में किसान ऋण की उच्च ब्याज दर के दबाव में हमेशा होते हैं। इस योजना को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने की दृष्टि से है।
मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार द्वारा पिछले 7 माह में किए गए कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2022 तक देश के प्रत्येक नागरिक को आवास और भोजन उपलब्ध कराने का फैसला किया है। राज्य सरकार भी इसके लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए उज्जवला योजना से वंचित लोगों को, जिनकी वार्षिक आय 2 लाख 50 हजार से कम है और जिन्हें गैस कनेक्शन नहीं मिल पाया, उनको राज्य सरकार की ओर से निशुल्क गैस कनेक्शन दिया जाएगा, इसका आदेश जारी किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड देश को स्वच्छ हवा और स्वच्छ पानी देता है। उत्तराखण्ड की नदियाँ सूखती जा रही हैं। इसके लिए सरकार राज्य की 2 नदियों देहरादून में रिस्पना और अल्मोड़ा में कोसी नदी को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए जन सहयोग की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘‘जल पुरूष राजेन्द्र सिंह जी से बात करके मुझे एहसास हुआ कि नदियों को पुनर्जीवित करना इतना कठिन भी नहीं जितना मुझे लग रहा था।’’
इसके अलावा, यह योजना किसानों को कृषि को मजबूत करने में मदद करेगी। तदनुसार, किसान अपनी आजीविका के विकल्प बढ़ाने के लिए छोटे पैमाने पर कृषि आधारित इकाइयां स्थापित कर सकते हैं। उत्तराखंड सरकार राज्य के किसानों को एक लाख रुपये तक की ऋण राशि प्रदान करेगा। सरकार द्वारा यह लोन/ ऋण 2% की मामूली ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाएगा।
किसान, यह राशि राज्य सरकार को 3 वर्ष की अवधि में लौटा सकता है। इस योजना के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले किसानों के अलावा छोटे और सीमांत किसान इस ऋण का लाभ उठा सकते हैं। इस योजना के तहत, कंपाउंडिंग चार्ज की अवधि भी बढ़ा दी गई है जो ऋण राशि का भुगतान न करने के 3 महीने के बाद किसानों पर लगाया गया था।
किसान कल्याण योजना के उद्देश्य निम्लिखित हैं।
- किसान कल्याण योजना (KKY) मुख्य उद्देश्य सीमांत किसानों को सस्ती ब्याज दरों पर 1 लाख रुपये तक का कृषि ऋण देना है।
- अब तक किसान खेती और अन्य जरूरतों के लिए स्थानीय साहूकारों पर निर्भर रहते हैं. साहूकारों से मिलने वाले लोन की महंगी ब्याज दर किसानों को लगातार कर्ज के जाल में उलझाती चली जाती है।
- उत्तराखंड की किसान कल्याण योजना (KKY) के प्रयास से केंद्र सरकार के साल 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य पाने में भी मदद मिलेगी।
- Uttarakhand Kisan Kalyan Yojana के माध्यम से इच्छुक किसान ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित छोटी इकाइयां लगाकर आजीविका के साधन भी बना सकते हैं।
दीनदयाल उपाध्याय किसान कल्याण योजना के लाभ निम्न प्रकार से हैं।
- उत्तराखंड सरकार 1 लाख रुपये तक के कृषि ऋण प्रदान करेगी।
- ऋण के लिए ब्याज दर बहुत कम होगी जो कि 2% है।
- ऋण राशि का पुनर्भुगतान करने का समय 3 वर्ष की अवधि के भीतर होगा।
- अधिक आय अर्जित करने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों में किसानों को वित्तीय सहायता दी जाएगी।
- यह मिश्रित खेती को भी बढ़ावा देता है।
- इस किसान कल्याण योजना का लक्ष्य 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करना है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में किसान अपनी आजीविका बनाए रख सकते हैं और कर्ज के जाल से राहत भी पा सकते हैं।
दीनदयाल उपाध्याय किसान कल्याण योजना का लाभ लेने के लिए निम्नलिखित पात्रता का होना आवश्यक है।
- आवेदक उत्तराखंड का नागरिक होना चाहिए।
- आवेदनकर्ता का पेशा कृषि क्षेत्र में होना चाहिए।
- छोटे और सीमांत किसान केवल इस योजना के लिए आवेदन करने के पात्र हैं।
- किसान के परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी कर्मचारी नही होना चाहिए वरना वह इस योजना का लाभ नही ले पाएगा।
