बरसात होने के साथ पौधा रोपण का काम आरभ किया जा सकता है। वन औषधि द्रव्यों का भौगोलिक जलवायु एवं मुद्रा के आधार पर खेती (कृषिकरण) वैज्ञानिक तरीके से प्रारभ किया जाए। जिससे प्रमाणिक एवं शुद्ध जड़ी-बूटी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो सकें। इससे किसान को अच्छी आमदन प्राप्त हो सके। उपरोक्त विचार वन अधिकारी अनिल श्योराण ने सीवन के हर्बल पार्क में किसानों से बात करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि जलवायु के अनुसार औषध द्रव्यों के रस, गुण व धर्म में परिवर्तन होता है। जड़ी-बुटियों के कृषि कृषि करण हेतु जलवायु, भूमि, ढलान, हर प्रकार का ध्यान जरूरी है। उन्होंने किसानों से कहा कि सब बातों से बाजार जरूरी है कि किस औषधि का बाजार कहा पर है या किस स्थान पर किस औषधि की माग अधिक है। उन्होंने कहा कि इन औषधीय पौधों से पर्यावरण का संतुलन सुधरेगा एवं जड़ी बूटी की खेती से आर्थिक लाभ होगा। रणबीर ढुल ने कहा कि किसान पहले उन पौधों की जानकारी उपलब्ध करे जिसे वह लगाने का इच्छुक है। पौधो व नई तकनीक उपलब्ध करवा दी जाएगी। उन्होंने बताया कि काला बासा खासी, दात दर्द, फोड़े फुंसिया, व सूजन को दूर करता है। नीमड़ा जख्म का दूर करता है। अमलतास जउ़, छाल,बीज पत्तिया कब्ज नाशक, फल जोड़ों के दर्द में पत्तिया त्वचा रोग में उत्तम है। सदाबहार मधुमेय नाशक व कैंसर में उपयोगी है। ब्राह्मी बूटी पौधे ताजे पत्ते क्षय रोग, बालों, त्वचा और नाखूनों की बढ़ोतरी व मस्तिष्क को ताकत देती है। शतावर भूख वर्धक कुष्ठ रोग में कोमल शाखाओं का सूप ताकत देता है। ग्वार पाठा पेट के रोगों में उपयोगी, एग्जिमा को खत्म करता है। कदम के पेड़ की छाल टानिक व सर्प के काटने पर काम आती है। पत्तिया उबाल कर गले के रोग में काम आती है। खैर दिल की ताकत कत्था बनाने में उपयोगी है। सफेद मुसली बल वर्धक है। सीता फल प्रोटीन युक्त है दिल को ठण्डक व ताकत देता है। तुलसी की पत्तिया पेट विकार में बीज मूत्र संबंधी रोग, जिगर रोग, खासी जुकाम व बुखार में काम आती है। पीपरामैंट पेट का उपचार, वायु विकार दूर करने की औषधि है। कोंच मर्दाना ताकत, मूत्र वर्धक, मुख अधरंग में उपयोगी है। नीम गिल्टिया , फोड़े फुंसिया, कीड़े नाशक, क्षय रोग कीट नाशक दवा बनाने में कारगर है। आवला, त्रिफला में विटामिन सी, पेट रोग, कीटाणु नाशक है। काला धतूरा बीज पत्ते जड़े दिमाग की कमजोरी, अतिसार, चर्मरोग फल श्वास रोग में उपयोगी है। लैमन ग्रास विटामिन ए तथा तेल आखों के लिए उपयोगी है। श्योराण ने कहा कि चारों वेदों के बाद आयुर्वेद का महत्व माना गया है। आने वाला युग आयुर्वेद का होगा। विदेशों में आज भी हर्बल की बहुत माग है। सीवन की जामुन हर्बल वाटिका में 250 किस्म के पौधे लगाए हुए है। धरा का संतुलन बनाने के लिए अधिक वन क्षेत्र बढ़ाने की आवश्यकता है।
