संभावित सूखे की आशंका से निपटने के लिए कृषि विभाग ने अपनी ओर से तैयारियां कर ली हैं। इस बार खरीफ मेें कम पानी में पैदा होने वाली फसलों के उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है। साथ ही पहली बार ग्वार की खेती करने की ओर भी कृषि विशेषज्ञों का ध्यान गया है।
मौसम वैज्ञानिकों ने इस बार सूखे की आशंका जताई है। अभी तक जो हालात हैं, उससे पानी का दूर- दूर तक अता- पता नहीं है। यही कारण है कि खरीफ की तैयारियों में जुटे कृषि विभाग ने इस बार कम पानी में पैदा होने वाली फसलों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर दिया है। सूखे की कार्ययोजना भी बना ली गई है। विशेषज्ञों को मानना है कि ग्वार की फसल यहां की जलवायु के लिए उपयुक्त है। इसीलिए कृषि विभाग ने पहली बार यहां के किसानों को परंपरागत खेती के साथ ग्वार की खेती करने पर जोर दिया है।
जिले में कृषि विभाग करीब 150 हेक्टेयर में ग्वार की खेती करेगा। इसके लिए 30 क्विंटल ग्वार का बीज (प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 15 से 20 किलो बीज) की शासन से बुआई के लिए मांग की गई है। वीडियो कांफ्रेसिंग में जिलाधिकारी ने मुख्य सचिव से ग्वार के बीज पर अनुदान व बीमा क्लेम मांगा है। इसके अलावा तिल की खेती पर जोर दिया गया है।
क्या है ग्वार का महत्व?
कम पानी में पैदा होने वाली इस फसल ने राजस्थान के किसानों की तकदीर बदल दी है। इसकी कीमत तीस हजार रुपये प्रति क्विंटल से अधिक रहती है। सब्जी, औषधीय तेल तथा ग्वार गम के रूप में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी बहुत मांग है। अमेरिका में ग्वार गम का उपयोग फास्ट फूड में किया जाता है, इसलिए राजस्थान से ग्वार विदेशों को निर्यात किया जाता है।
सह फसलों पर रहेगा जोर
सूखे की आशंका को देखते हुए कृषि विभाग ने खरीफ में सह फसलों की बुआई करने की योजना बनाई है। यहां आमतौर पर बुआई का समय 15 जुलाई से शुरू होता है। सूखे की संभावना को देखते हुए जिला कृषि अधिकारी डा. बी आर मौर्य ने अरहर- ज्वार, अरहर- तिल, मूंगफली- ज्वार, बाजरा- मूंगफली, मूंग- बाजरा, उर्द- ज्वार की खेती पर जोर दिया है। इसके अलावा कम पानी में पैदा होने वाले फसलों के बीजों का उपयोग किया जाएगा।
कम पानी में पैदा होने वाले बीज
तिल – ‘टाइप -78’, जेटीएस- 08
उर्द – ‘आजाद- 2’, पंत 21, टाइप- 9
मूंगफली – टीएजी-24, ‘चित्रा’ व ‘कौशल’
धान- पी 1042, पी 1029, नरेंद्र- 359 (केवल मोंठ ब्लाक के लिए)
ज्वार- सीएसबी 15
बाजरा- जेकेबीएच 676
मूंग- आईपीएम 2-14, पीडीएम- 139, आईपीएम- 2-3
सोयाबीन- पीके – 1029
यह है खरीफ का लक्ष्य
कुल बुआई का क्षेत्रफल – 2,95,173 हेक्टेयर
तिल की बुआई का क्षेत्रफल- 1,35,950 हेक्टेयर
धान की बुआई – 15,200 हेक्टेयर
मक्का की बुआई – दो हजार हेक्टेयर
ज्वार की बुआई- पांच हजार हेक्टेयर
बाजरा की बुआई- पांच सौ हेक्टेयर
उर्द की बुआई – पचासी हजार हेक्टेयर
मूंग की बुआई -15 हजार हेक्टेयर और
अरहर की बुआई – दो हजार हेक्टेयर
