ड्राई फ्रूट्स की खेती की इस एक खास श्रृंखला में हम शुरुवात आज ड्राई फ्रूट्स के राजा कहे जाने वाले काजू की खेती पर बात करेगेकाजू जिसे की Cashew भी कहा जाता है काजू की खेती एक मुनाफे की खेती है इसका ही परिणाम है की हर वर्ष इसकी खेती में तेजी से बढोती देखी जा रही है पर अभी भी बहुत से किसान इसकी खेती करना चाहते है जो की सही जानकारी ना होने या अधूरी जानकारी की वजह से काजू की खेती करने की और आगे नहीं बढ़ पाते है ये जानकारी उन्ही किसानो को ध्यान में रख कर दी जा रही है तो चलिए हम शुरू करते ह
काजू की खेती के लिए भूमिकाजू की खेती के लिए अगर भूमि की बात की जाये तो काजू के लिए आधिक क्षारीय मिट्टी को छोड़ बाकि अन्य जैसे गहरी दोमट मिट्टी हो या इसके अलावा ढलवा मिट्टी का भी बहुत आधिक उपयोग काजू की खेती के लिए किया जाता है इसकी वजह इसके भूमि के भू क्षरण को रोकने के लिए भी इस भूमि में काजू को लगाया जाता हैकाजू को खाने के फायदे :-काजू हमारी सेहत के लिए एक भरपूर गुणकारी ,स्वादिष्ट और पौष्टिक नट्स हैकाजू में मोजूद , आयरन ,मैगनीशियम, पोटैशियम, कॉपर, मैगनीज, जिंक और सीलियम हमारे शरीर के लिए जहा तुरंत उर्जा देने का काम करता है वही ये दिल के लिए भी लाभकारी हैकाजू की खेती देश के पश्चिमी तटवर्ती इलाको में यहाँ तक की बालू रेत में भी की जाती है जो की प्रायः किसी भी खेती के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती हैकाजू की खेती लिए जलवायु :-काजू के लिए जलवायु की बात जाए तो देश का दक्षिणी हिस्सा यानि की दक्षिणी भारत का तटवर्ती हिस्सा सबसे अच्छा माना जाता है अमूमन समुद्र तल से करीब करीब हजार मीटर की उचाई पर आद्र और माध्यम जलवायु काजू के फलने फूलने में सहायक हैइन दिनों गोवा में काजू की भरपूर उत्पादन पर कार्य हुवा है देश में काजू का करीब 25,000 टन उत्पादन गोवा में होता हैइसी वर्ष काजू की खेती को आगे बढ़ाते हुए देश के छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में भी इसके 10 हजार हेक्टेयर में अतिरिक्त काजू की खेती को बढ़ाया गाया है माना जा रहा है की यहाँ की मिट्टी व जलवायु काजू के लिए उपयुक्त हैइस तरह गोवा छत्तीसगढ़ के अलावा आन्ध्रप्रदेश, , कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओड़िशा, तमिलनाडू और पश्चिम बंगाल, इनेक अलावा, असम, , गुजरात, मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा में काजू की खेती की जाती हैकाजू की बीज बुवाई व पोधा रोपण :-काजू का प्रवर्धन हम 2 तरीको से कर सकते है
1 बीज के द्वारा – काजू के बीज को हम गड्डा करके अच्छी तरह लगा देते है एक गड्डे में हम 2 बीज डालते है जब ये बीज 3-4 सपताह में पोधे की शक्ल ले लेता है तब हम उसे कुछ वर्षो बाद (5 वर्ष ) बाद थोड़ी –थोड़ी दुरी पर लगा देते है
2.इसके अलावा काजू के पोधा रोपण का एक और सबसे अच्छा तरीका ग्राफटिंग है जो की हमे जुलाई से अगस्त के बीच करना है इससे हमे 2 साल के कम समय में काजू का पोधा तैयार मिलता है जो की एक अच्छी विधि हैकाजू में कीट और रोग नियंत्रण :- हमे काजू पर समय समय नजर रखते हुए इसके कीट और रोगों का उचित आवश्यक कीटनाशको और नीम के काढ़ा से रोगथाम करना जरुरी है
