चाइनीज़ गूजबैरी जो कि ‘कीवी फल’ के नाम से प्रसिद्ध है, कीवी फल एक महत्त्वपूर्ण फल है| कीवी फल की खेती हिमालय के मध्यवर्ती, निचले पर्वतीय क्षेत्रों, घाटियों तथा मैदानी क्षत्रों में जहां सिंचाई की सुविधा हो, सफलतापुर्वक की जा सकती है| अंगूर की बेलों की तरह ही इसकी बेलें बढ़ती हैं| कीवी फल भूरे रंग का, लम्बूतरा, मुर्गी के अण्डे के आकार का होता है| छिलके पर बारीक रोयें होते हैं, जोकि फल पकने पर रगड़ कर उतारे जा सकते हैं| कीवी फल गूदा हल्के हरे रंग का होता है व इसमें काले रंग के छोटे-छोटे बीज होते हैं|
इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है| किवी फल को ताजा फल के रूप में या स्लाद के रूप में खाने के लिए उपयोग में लाया जाता है| यह पोषक तत्वों और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है| इसमें विटामिन बी और सी तथा खनिज जैसे फास्फोरस, पोटाश तथा कैल्शियम की अधिक मात्रा होती है| इस लेख में कीवी फल की वैज्ञानिक तकनीक से बागवानी कैसे करें की पूरी जानकारी का उल्लेख किया गया है| ताकि कृषक इसकी फसल से गुणवत्ता युक्त और अधिकतम उत्पादन प्राप्त कर सकें|
उपयुक्त जलवायु
कीवी फल की बेल अंगूर की तरह होती है, सर्दियों में इसके पत्ते झड़ जाते हैं| भारत के हल्के उपोष्ण और हल्के शीतोष्ण जलवायु वाले क्षेत्र जिनकी समुद्रतल से ऊंचाई 1000 से 2000 मीटर, 150 सेंटीमीटर औसत वार्षिक वर्षा तथा सर्दियों में 7 डिग्री सेल्सियस तापमान लगभग 100 से 200 घण्टों का मिल सकता हो, वहां इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है|बसन्त ऋतु के दूसरे सप्ताह में बेल में अंकुर फूटने के समय कोहरा नहीं पड़ना चाहिए, और इसके अलावा तेज गर्मी, आंधी तथा ओलावृष्टि से भी पौधों की पत्तियों, फूलों तथा फलों को क्षति पहुच सकती है| इसलिए साथ में वायु अवरोधक तथा उचित सिंचाई का प्रबन्ध करके आसानी से उगाया जा सकता है|
भूमि का चुनाव
कीवी फल की खेती के लिए गहरी, उपजाऊ, अच्छी जल निकासी वाली, बलुई रेतीली दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है| जिसका पीएच मान 5.0 से 6.0 के बीच हो और पानी का समुचित निकास हो सके वह कीवी फल की बेलों की बढ़ोत्तरी के लिए सबसे उपयुक्त होती है| इसकी बेलें ज्यादा लवणयुक्त भूमि के प्रति सहनशील हैं और साधारणतया इसको 0.25 पीपीएम से कम बोरान व सोडियम लवण तथा 0.75 से कम विद्युत चालकता, जिसका पीएच 7.3 से कम हो ऐसी भूमि में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है|
उन्नत किस्में
भारत में कीवी फल की खेती की प्रमुख मादा किस्में एलिसन, ब्रूनो, हेवर्ड, मोन्टी और एबट तथा नर किस्में एलीसन व तोमुरी हैं| जो कि एक्टीनिडिया डेलीसियोसा के अन्तर्गत आती हैं| चीन में लगभग दो तिहाई उत्पादन एक्टीनिडिया चाइनेन्सिस का होता है| इस कीवी फल किस्म के फल कम रोंयेदार और पकने पर चिकने हो जाते हैं| भारत में उपलब्ध किस्मों का विस्तृत विवरण इस प्रकार है, जैसे-
एबट- इस कीवी फल किस्म का मध्यम परिमाण वाला अण्डाकार फल, स्वाद में मीठा, फूल का अन्य किस्मों से अपेक्षाकृत पहले खिलना, फल का औसतन भार 50 से 60 ग्राम, अपेक्षाकृत कम शीतन घंटों की आवश्यकता होती है|
एलिसन- इसका फल लम्बाई के अनुपात में कुछ मोटा, मीठा, एबट के बाद फूलने और मध्य समय में पकने और अधिक पैदावार देने वाली किस्म, एबट से मिलता जुलता फल, फल का भार लगभग 60 से 70 ग्राम होता है|
ब्रूनो- इसका फल बड़े आकार का लम्बूतरा, गहरे भूरे रंग का, अधिक पैदावार देने वाली किस्म, हेवर्ड की अपेक्षा फल छोटा, फल का भार लगभग 60 ग्राम होता है|
हेवर्ड- इस कीवी फल किस्म के फल अन्य किस्मों से अपेक्षाकृत गोल, आकार में बड़ा, देरी से फूलने वाली किस्म, लम्बी अवधि तक 4 से 6 महीने भण्डारण योग्य फल, अधिक प्रचलित किस्म, फल कुछ कम मिठास वाला, फल का औसतन भार लगभग 90 से 120 ग्राम होता है|
मौन्टी- कीवी फल किस्मों में सबसे बाद फूलने वाली, अधिक फलदायक और ज्यादा फलन वाली किस्म, फल लम्बूतरा, परन्तु डण्डी की ओर कुछ नुकीला, फल का औसतन भार 60 से 70 ग्राम, फल विरलन आवश्यक है|
पौधे तैयार करना (प्रवर्धन)
किवी फल की खेती के पौधे बीजू पौधे पर बडिंग या कलम करके तैयार किए जाते हैं, विधि इस प्रकार है, जैसे-
कीवी फल के बीज से पौधे तैयार करने के लिए बीज पूर्ण रूप से पके फलों से लें| बीजों को फलों से निकाल कर अच्छी तरह साफ करके छाया में सुखायें| अच्छे अंकुरण के लिए बीजों को एक सप्ताह के अन्दर ही बीज देना चाहिए| मध्यवर्ती ठण्डे पहाड़ी क्षेत्रों में बीज को सीधा क्यारियों में लगाकर मल्चिंग करें| किन्तु मध्यवर्ती गर्म क्षेत्रों में बीजों को लगभग 10 सप्ताह दिसम्बर से फरवरी या जनवरी से मध्य मार्च तक गीली रेत में रख कर स्तरीकरण (स्टैटिफिकेशन) करके फिर नर्सरी में लगायें|
