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कैसे करते है बेल की वैज्ञानिक खेती

Posted on December 11, 2020 By User No Comments on कैसे करते है बेल की वैज्ञानिक खेती


परिचय
शुष्क क्षेत्रों में फलोत्पादन की सबसे बड़ी समस्या जल की कमी है। ऐसी दशा में वार्षिक फसलों की तुलना में फल वृक्ष को कम जल की आवश्यकता होती है। कम सिंचित क्षेत्रों में बेल की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। आज के संदर्भ में जब भारतीय जनता औषधीय फलों के प्रति अधिक जागरूक हो गयी है तथा बेल के फलों के लिए अधिक मूल्य देने को तैयार है, इसकी बागवानी बहुत लाभप्रद हो गयी है। अत: इसकी बागवानी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, ताकि आगे भी अच्छा फल प्राप्त होते रहे।

भूमि
बेल एक बहुत ही सहनशील वृक्ष है। इसे इसी भी प्रकार की भूमि में उगाया जा सकता है, परन्तु जल निकासयुक्त बलुई दोमट भूमि इसकी खेती के लिए अधिक उपयुक्त है। समस्याग्रस्त क्षेत्रों-ऊसर, बंजर, कंकरीली, खादर, बीहड़ भूमि में भी इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। वैसे तो बेल की खेती के लिए 6-8 पी.एच मान वाली भूमि अधिक उपयुक्त होती है। भूमि में पी.एच मान 8.5 बेल की व्यावसायिक खेती की जा सकती है।

जलवायु
बेल एक उपोष्ण जलवायु का पौधा है, फिर भी इसे उष्ण, शुष्क और अर्द्धशुष्क जलवायु में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। इसकी बागवानी 1200 मीटर ऊँचाई तक और 7-46 डिग्री सेल्सियस तापक्रम तक सफलतापूर्वक की जा सकती है। इसके पेड़ की टहनियों पर कांटे पाये जाते हैं और मई-जून की गर्मी के समय इसकी पत्तियाँ झड़ जाती है, जिससे पौधों में शुष्क और अर्द्धशुष्क जलवायु को सहन करने की क्षमता बढ़ जाती है।

उन्नत किस्में
बेल में अत्यंत जैवविधिता पाई जाती है तथा इसके आंकलन की आवश्यकता है। नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा चयनित किस्मों के कारण पूर्व में विकसित किस्मों, जैसे – सिवान, देवरिया, बड़ा कागजी, इटावा, चकिया, मिर्जापुरी, कागजी गोण्डा आदि के रोपण की सिफारिश अब नहीं की जा रही है। कुछ प्रमुख नवीनतम उन्नत किस्मों का संक्षिप्त विवरण निम्न है।

नरेन्द्र बेल 5
इस किस्म के पौधे कम ऊँचाई वाले (3-5 मी.) और अधिक फैलाव लिये होते हैं। फल चपटे सिरे वाले मध्यम आकार के, मीठे स्वाद होते हैं। फलों का औसत वजन 1-1.5 किलो ग्राम तक होता है तथा फलों का छिलका पतला होता है। गूदे में रेशे और बीज की मात्रा काफी कम पायी जाती है। पेड़ों से औसत उपज 70-80 किलोग्राम प्रति वृक्ष तक प्राप्त की जाती है।

पंत शिवानी
इस किस्म के पेड़ ऊपर की तरफ बढ़ने वाले और अधिक फैलाव लिये जाते हैं। फल चपटे सिरे वाले, मध्यम आकार के, मीठे स्वाद होते हैं। फल अंडाकार लम्बे, औसत वजन 1.2-2.0 किलोग्राम छिलका मध्यम पतला, गूदा अधिक (70-75 प्रतिशत), रेशा कम, अच्छी मिठास वाला और स्वादिष्ट होता है। फलों की भंडारण क्षमता अच्छी होती है तथा पेड़ों की औसत उपज 50-60 किलोग्राम वृक्ष तक पायी जाती है।

पंत अर्पणा
यह एक बौनी और विरल वाली किस्म है, जिसकी शाखाएं नीचे की तरफ लटकती रहती है। पत्तियाँ बड़ी, गहरे रंग की और नाशपाती की तरह होती है। पेड़ों पर कांटे कम पाये जाते हैं तथा फल जल्दी और उपज अच्छी होती है। फल गोलाकार और 0.6 से 0.8 किलोग्राम औसत भार के और पतले छिलके वाले होते है। पकने पर फलों का रंग हल्का होता है। इसमें बीज, लिसलिसा पदार्थ, खटास व रेशा कम पाया जाता है। लिसलिसा पदार्थ व बीज अलग थैलियों में बंद होता है, जिसे आसानी से अलग किया जा सकता है। अत: यह किस्म परिरक्षण के लिए ज्यादा उपयुक्त सिद्ध हो सकती है। फलों का गूदा मध्यम मीठा (टी.एस.एस. 35-40 ब्रिक्स), स्वादिष्ट और सुवासयुक्त होता है।

पंत उर्वशी
इस किस्म के पेड़ घने और लम्बे होते हैं। यह एक मध्यम समय में पकने वाली किस्म है। फलों का आकार अंडाकार तथा प्रति फल भार 1.6 किलोग्राम तक होता है। छिलका मध्यम पतला, गूदा मीठा स्वादिष्ट और सुवासयुक्त होता है। फलों में गूदे की मात्रा 68.5 प्रतिशत और रेशे की मात्रा कम पायी जाती है।

पंत सुजाता
इस किस्म के पेड़ मध्यम आकार के घने और फैलने वाले होते हैं। यह शीघ्र फल देने वाली और मध्यम समय में पकने वाली किस्म है। फल गोल लेकिन दोनों सिरे चपटे होते हैं। फलों का औसत भार 1.14 किलोग्राम छिलका पतला और हल्के पीले रंग वाला, रेशा कम होता है। फलों में गूदे की मात्रा 77.8 प्रतिशत तक पायी जाती है। पेड़ों की औसत उपज 45-50 किलोग्राम प्रति वृक्ष तक पायी जाती है।

सी.आई.एस.एच.बी. 1
इस किस्म के पौधे मध्यम ऊँचाई वाले कम फैलाव लिये होते हैं। फल, आकार में अंडाकार, लम्बाई 15-17 सेंमी. और व्यास 39-40 सेंमी. तथा अधिक मिठासयुक्त होते हैं। फलों का औसत वजन (0.8-1.2) तक पाया जाता है। फलों का छिलका पतला (0.10-0.12 सेंमी.) होता है। फलों में रेशे और बीज की मात्रा कम पायी जाती है और औसत उपज 50-60 किलोग्राम प्रति वृक्ष तक हो जाती है।

सी.आई.एस.एच.बी. 2
इस किस्म के पौधे कम ऊँचाई वाले और कम फैलाव लिये होते हैं। फल, आकार में बड़े, लम्बाई तक पाया जाता है। फल अधिक मिठासयुक्त और पतले छिलके वाले होते हैं। फलों में रेशा और बीज की मात्रा काफी कम होती है। इस किस्म के पौधों की उपज 40-50 किलोग्राम वृक्ष तक पायी जाती है।

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