किसानों की फसल बेमौसमी बारिश, कीट और रोगों के अलावा कभी-कभी बंदर, आवारा पशु, नीलगाय या फिर छुट्टा जानवरों की वजह से बर्बाद हो जाती है. छुट्टा जानवरों की वजह से कई बार किसानों की पूरी फसल बर्बादी हो जाती हैं. इसके लिए किसान कई तरह के उपाय भी अपनाते हैं, लेकिन कभी-कभी वह उपाय पूरी तरह से कारगार साबित नहीं हो पाते हैं. ऐसे में किसानों के लिए “फसल सुरक्षा कवच” एक वरदान साबित हुआ है. हम बात कर रहे हैं, सोलर फेसिंग सिस्टम की. अब तक कई किसान अपने खेतों में सोलर फेसिंग लगा चुके हैं, इससे उन्हें छुट्टा जानवरों से काफी राहत मिली है, इसलिए इसको फसल सुरक्षा कवच कहा जाता है. खास बात यह है कि इसे मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत लगवाया जा सकता है.
क्या है सोलर फेंसिंग सिस्टम
अगर किसान अपने खेत में सोलर फेंसिंग सिस्टम लगाना चाहता है, तो वह अपने ब्लॉक में एसएमएस के पास आवेदन कर सकता है. इसके तहत किसान के खेत में करीब 8 फीट की ऊंचाई वाले जैसे पिल्लर लगेंगे. इन पिल्लरों को स्पेशल तारों से जोड़ा जाएगा, जिनमें सोलर एनर्जी के द्वारा हल्का करंट पैदा होगा. इसमें एक सोलर बैटरी लगेगी, जिससे सोलर फेंसिंग सिस्टम को चलाया जाएगा. अगर कोई भी छुट्टा जानवर इन तारों के आस-पास या इनको छुएगा, तो उसको हल्का झटका लगेगा, जिसके बाद छुट्टा जानवर फसल से दूर भाग जाएगा. बता दें कि इस हाइटेक सिस्टम को कोई व्यक्ति या किसानों का एक ग्रुप भी मिलकर लगावा सकता है.
सब्सिडी के लिए कैसे होगा एग्रीमेंट
सोलर फेंसिंग सिस्टम लगाने के लिए करीब 60 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी. अगर कोई किसान इस सिस्टम को लगवाना चाहता है, तो प्रोजेक्ट का 60 प्रतिशत हिस्सा सरकार द्वारा दिया जाएगा, बाकि 40 प्रतिशत हिस्सा किसान द्वारा होगा. इसके लिए दोनों के बीच एक एग्रीमेंट भी होगा. इसके बाद उस एरिया के लिए अलॉट कंपनी सिस्टम को इंस्टॉल करेगी. इस सिस्टम की मेंटिनेंस भी कंपनी ही देखेगी. सिस्टम को इसे चलाना है, इसकी ट्रेनिंग¨किसान को दी जाएगी. आपको बता दें कि सोलर फेंसिंग सिस्टम को लगाने के लिए करीब 5 एकड़ ज़मीन में 40,000 रुपए की लागत लगती है. बांस और बल्ली का इंतजाम किसान को करना पड़ता है.
