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गर्मियों में इन फसलों को उगाकर किसान ले सकते है ज्यादा मुनाफा…

Posted on December 15, 2020December 15, 2020 By User No Comments on गर्मियों में इन फसलों को उगाकर किसान ले सकते है ज्यादा मुनाफा…

गर्मियों में इन फसलों को उगाकर किसान ले सकते है ज्यादा मुनाफा…

बारिश से बर्बाद हुई फसलों से जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई किसान कम खर्चे और कम अवधि वाली फसलें लगा कर कुछ प्रतिशत तक कर सकते हैं। अप्रैल से जुलाई के बीच लौकी, तोरई, टमाटर, बैगन, लोबिया और मेंथा जैसी फसलें उगाई जा सकती हैं।

बे-मौसम हुई बरसात से प्रदेश भर में गेहूं, दलहन और तिलहन मिला कर कुल 26.62 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई है, जिससे किसानों को कफी नुकसान का सामना करना पड़ा है। ऐसे में कृषि विशेषज्ञों और जागरुक किसानों ने किसान को कम समय ज्यादा उपज देने वाली फसल लगाने की सलाह दी है।

नरेन्द्र देव कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक एसपी सिंह कहते हैं, “अधिकतर किसान गेहूं काटने के बाद धान की रोपाई तक खेत को खाली छोड़ देते हैं। अगर इसी दौरान किसान कम अवधि वाली लौकी, तोरई, कद्दू, टमाटर, बैगन, लोबिया, बाजरा,मेंथा जैसी फसलों की बुवाई कर सकते हैं, जो उन्हें बेहतर मुनाफा दे सकती हैं।”

वैज्ञानिकों और सफल किसानों की सलाह

मक्का- किसान इस समय मक्के की पाइनियर-1844 किस्म की बुवाई कर सकते हैं। यह किस्म मक्के की दूसरी किस्मों के मुकाबले कम समय के साथ-साथ अच्छी पैदावार भी देती है।

मूंग- किसान सम्राट किस्म की मूंग की बुवाई कर सकते हैं। यह 60 से 65 दिनो में तैयार हो जाता है और डेढ़ से दो कुन्तल प्रति बीघे के हिसाब से इसकी पैदावार होती है। इसमें प्रति बीघे कुल खर्चा सिर्फ 400-450 रुपए आता है।

उड़द- उड़द की पंतचार किस्म की बुवाई इस समय की जा सकती है। यह 60-65 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति बीघे एक से डेढ़ कुंतल की पैदावार होती है। प्रति बीघे कुल खर्च 250-3000 रुपए आता है।

ये फसलें भी हैं लाभदायक

मेंथा-कम समय में उगने वाली नगदी फसलों में मेंथा भी शामिल है। इस स्थिति में मेंथा की’सिम क्रांति’ किस्म लगाना किसानों के लिये उचित रहेगा। क्योंकि यह किस्म बाकी प्रजातियों से प्रति हेक्टेयर 10 से 12 फीसदी ज्य़ादा तेल देगी। सीमैप के वैज्ञानिकों के मुताबिक यह मौसम के छुट-पुट बदलावों के प्रति प्रतिरोधी है। यानि कम या ज्यादा बरसात होने पर इसके उपज में अंतर नहीं पड़ेगा। ‘सिम क्रांति’प्रजाति से प्रति हेक्टेयर 170-210 किलो तेल प्राप्त होगा।

लोबिया- मुख्य फसल धान से पहले किसान 60 दिन में पैदा होने वाली लोबिया भी बो सकते हैं। पंत नगर कृषि विश्वविद्यालय ने ये किस्म हाल ही में विकसित की है, जो समतल इलाकों में खेती के अनुकूल है। आमतौर पर लोबिया की सामान्य किस्मों को तैयार होने में 120-125 दिन लगते हैं। अल्प अवधि लोबिया की प्रजातियों जैसे पन्त लोबिया-एक, पन्त लोबिया-दो एवं पंत लोबिया-तीन की बुआई 10 अप्रैल तक की जा सकती है। इस किस्म में पानी की बहुत कम आवश्यक्ता होती है, तो किसानों को गर्मी बढऩे पर सिंचाई की चिंता नहीं करनी होगी। इस नई किस्म को जीरो टिलेज (बिना खेत जोते) भी उगाया जा सकता है।

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