चमेली की खेती एक महत्वपूर्ण फूल की फसल है, जो व्यापारिक स्तर पर पूरे भारत में हर स्थान पर की जाती है| चमेली की खेती का पौधा 10 से 15 फीट की ऊंचाई तक पहुंच जाता है| इसके सदाबाहार पत्ते किस्म के आधार पर 2 से 3 इंच लम्बे, हरे, तना पतला और सफेद रंग के फूल पैदा करते है| इसके फूल मार्च से जून के महीने में खिलते हैं| इसे मुख्य तौर पर पुष्पमाला, सजावट और भगवान की पूजा के लिए प्रयोग किया जाता है| इसकी अत्याधिक सेन्ट जैसी सुंगंध के कारण इसको परफ्यूम और साबुन, क्रीम, तेल, शैम्पू और कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट में खुशबू के लिए प्रयोग किया जाता है| भारत में पंजाब, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और हरियाणा इसके मुख्य उत्पादक राज्य हैं|
किसान भाइयों के लिए चमेली की खेती (Jasmine farming) वरदान साबित हो सकती है| क्योंकि सुगंधित पुष्पों में चमेली के पुष्प का अपना अनोखा ही महत्व है| चमेली की 20 से 25 प्रजातियां हैं, जो कि संसार के विभिन्न भागों में पाई जाती हैं| शहरों के निकट बड़े पैमाने पर चमेली की खेती की जाती है| यदि उत्पादक बन्धु चमेली की खेती वैज्ञानिक तकनीक से करें तो अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है| इस लेख में चमेली की उन्नत खेती कैसे करें की जानकारी विस्तार के साथ दी गई है|
हर तरह की मिट्टी के लिए उपयुक्त
इसकी खेती लगभग हर तरह की मिट्टी में आराम से हो सकती है, इसी कारण से इसे किसानों के लिए फायदेमंद माना जा रहा है. हालांकि चिकनी एवं रेतीली मिट्टी में इसके परिणाम और अधिक बेहतर मिलते हैं. स्टार जैसमिन को किसी विशेष तरह की खाद की जरूरत नहीं है. इसे आप घर-आंगन के अलावा छतों पर गमलों में भी लगा सकते हैं. आम चमेली के मुकाबले इसको सिंचाई की अधिक जरूरत नहीं पड़ती. कम पानी में भी बेहतर परिणाम देने में ये सक्षम है.
इन भागों का हो सकता है उपयोग
स्टार जैसमिन नामक चमेली की इस नई किस्म के सभी भागों जैसे इसके जड़ों, पत्तियों, फूलों, पंचांगों को उपयोग किया जा सकता है. इसके वाष्प से तैयार होने वाला तेल गुणवत्ता में अधिक बेहतर है.
सेहत के लिए भी लाभकारी
स्टार जैसमिन सेहत के लिए भी फायदेमंद है. इसके पत्तों के उपयोग से सिर दर्द में आराम मिलता है. कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक इसका उपयोग मोतियाबिंद के उपचार में हो सकता है. वहीं पेट में कीड़ों के हाने पर इसका उपयोग फायदेमंद है. औषधीय गुणों से भरपुर होने के कारण पेट के कीड़ों को मारने में यह सक्षम है.
