प्रदेश में जैतून (ऑलिव) की खेती के प्रति किसानों का रुझान बढ़ने लगा है। राज्य सरकार की ओर से इसे और बढ़ावा देने के लिए पौधे निशुल्क देने के साथ रखरखाव के लिए 4 साल तक 3200 रुपए सालाना सब्सिडी भी दी जा रही है। किसानों की आय दोगुनी करने की योजना में जैतून की खेती सबसे ज्यादा फायदे का सौदा साबित हो रही है। इसकी पत्तियां ऑलिव टी बनाने के काम आ रही हैं, जबकि इसके फलों से तेल निकाला जाता है। दोनों ही स्थितियों में किसान को लाभ हो रहा है। ऑलिव टी स्वास्थ्य के लिए खासतौर से कैंसर रोगियों के लिए लाभकारी मानी गई है। राज्य सरकार के कृषि विभाग ने इस बार बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू और जैसलमेर जिलों में 200 हैक्टेयर में जैतून की खेती का लक्ष्य रखा है। अन्य जिलों में प्रायोगिक तौर पर इसकी खेती की जा सकती है।
जैतून के पौधे इस तरह मिलेंगे मुफ्त
इच्छुक किसानों को कृषि विभाग की ओर से जैतून के पौधे निशुल्क दिए जा रहे हैं। किसान अपने क्षेत्र के कृषि उप निदेशक के यहां ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं। कृषि उप निदेशक आवेदन को जांच के बाद आगे प्रेषित करेंगे। राजस्थान ऑलिव कल्टीवेशन लिमिटेड की ओर से जयपुर के निकट बस्सी में स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में तैयार किए गए पौधे निशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे।
खेती कैसे करें
राजस्थान ऑलिव कल्टीवेशन लिमिटेड के सीओओ योगेश वर्मा ने बताया कि जैतून का पौधरोपण हर तरह की मिट्टी में किया जा सकता है। पहले 3 गुणा 3 गुणा 3 फीट का गड्ढा खोदें और उसमें 40-50 किलो गोबर की खाद और दीमकरोधी दवा डालकर 3-4 चार दिन के लिए छोड़ दें। इसके बाद सवा फीट का एक गड्ढा खोदकर उसमें जैतून का पौधा लगा देना चाहिए। उसमें तत्काल दो लीटर पानी दें और बाद में ड्रिप इरिगेशन से जोड़ दें ताकि पौधे को लगातार पानी मिलता रहे। पौधे के सीधा बढ़ने पर उसकी शाखाएं काट दें और उसे कटोरानुमा बढ़वार लेने दें।
दो साल में पत्तियां व 5वें साल में फल से कमाई
दो साल बाद जैतून के पौधों की बढ़वार होने पर इसकी पत्तियों को काटकर बेचा जा सकता है। वर्तमान में पत्तियां 50 से 60 रुपए प्रति किलो बिक रही हैं। चार या पांच साल के बाद इसमें फ्रूट लगने शुरू हो जाते हैं, जिसे कई कंपनियां खरीद लेती हैं। इस पेड़ की उम्र 700 से 800 साल तक की होती है।
तापमान सहने की क्षमता
एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच की दूरी 4 मीटर और एक कतार से दूसरी कतार के बीच 7 मीटर की दूरी रखें। जैतून के पौधे की 48 से 50 डिग्री से लेकर माइनस 7 डिग्री तक तापमान सहने की क्षमता होती है। वैसे सर्दी में इसे 300 घंटे तक 10 डिग्री के आसपास का तापमान चाहिए।
सब्सिडी मिलेगी
सरकार किसानों को इस पौधे के रखरखाव के लिए सब्सिडी भी देती है। एक साल बाद अगर 90 फीसदी पौधे जीवित रहते हैं तो किसान को 3200 रुपए सब्सिडी के मिलेंगे। यह सिलसिला 4 साल तक जारी रहेगा। पौधे के लगाने के कारण जितनी जमीन उसके काम में आई है, उतने में दूसरी फसल नहीं ले पाने के चलते किसान को 1000 रुपए प्रति हैक्टेयर प्रति वर्ष प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी।
