मई व जून माह से बुवाई
श्री विधि में पौधे की रोपाई 08 से 12 दिन में ही कर देते है । जबकि आम विधि में 21 दिन के बाद धान के पौधे की रोपाई की जाती है, जिससे जड़ बनने से ज्यादा समय और ऊर्जा लगती है । जिससे पौधे की जड़ें फैलाने एवं वृद्धि के लिए पर्याप्त समय एवं ऊर्जा प्राप्त मिलता है । पौध की रोपाई के समय एवं रोपाई के बाद खेत में पानी भरा नहीं रखा जाता। पौध को सीडिलिंग ( बीज ) सहित उखाड़कर तुरंत रोपाई की जाती है । जिससे पौधे में ओज बना रहता है, पौधे शीघ्र वृद्धि करते हैं । पौधे से पौधे एवं कतार से कतार की दूरी 25 सेन्टीमीटर रखी जाती है, जिससे प्रकाश, वायु एवं पोषक तत्वों का संचार ठीक से होता है, जड़ों का अधिक फैलाव, पौधे में अधिक कन्से एवं अच्छी वृद्धि के लिए पर्याप्त स्थान होता है । पौधों में पोषक तत्वों का समान रूप से विवरण एवं वायु संचार अच्छा होने से पौधे स्वस्थ्य एवं निरोग रहते हैं । Rice Farming Sri (System of Rice Intensification)Method
धान की उन्नत खेती के लिए भूमि का चुनाव
जिन क्षेत्रों में सिंचित धान की खेती होती वह भूमि उपयुक्त होती है ।
सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए ।
समतल भूमि जहां पानी भरा नहीं रहता हो ।
धान की किस्मों का चयन
अधिक उपज देने वाली उन्नत या संकर किस्मों का उपयोग करना चाहिए ।
कम या मध्यम अवधि समय ( 100 से 125 दिन ) में पकने वाली किस्में ।
बीज की मात्रा एवं उपचार
एक एकड़ क्षेत्र के लिए 2 से 2.5 किलो ग्राम बीज पर्याप्त होता है ।
छस लीटर पानी में 1.5 से 2 कि.ग्रा. नमक डालें जब तक मुर्गी का अण्डा पानी पर ऊपर तैरने न लगे ।
बीज को पानी में भिगोने पर जो बीज ऊपर तैरने लगे उसे निकालकर अलग कर दें ।
बेविस्टिन 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज, या ट्राइकोडर्मा तीन ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें ।
एजेक्टोबेक्टर 5 ग्राम एवं पीएसबी ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें |
नर्सरी की तैयारी
एक एकड़ खेत के लिए 30×5 फीट की 6 बीज सैया या 10x 1 मीटर 1 चैड़ी क्यारी बनायें । इसे 6 बाराबर भागों में बाँट दें, प्रत्येक क्यारी के बीच में 15 सेन्टीमीटर की नाली बनायें ।
बीज सैया खेत से 15 सेन्टीमीटर ऊंची बनायें ।
प्रत्येक क्यारी में 2 से 3 टोकरी गोबर केंचुआ खाद मिलायें ।
उपचारित बीज को 6 बराबर भागों में बांटकर प्रत्येक क्यारी में समान रूप से फैला देवें ।
बीज को गोबर या केंचुआ के बारीक भुरभुरी खाद की पतली पर्त से ढक दें ।
रोपणी की बोनी के उपरांत प्रथम सिंचाई हजारा ( झारे ) से करें ।
नर्सरी की तैयारी
एक एकड़ खेत के लिए 30×5 फीट की 6 बीज सैया या 10×1 मीटर 1 चैड़ी क्यारी बनायें । इसे 6 बाराबर भागों में बाँट दें, प्रत्येक क्यारी के बीच में 15 सेन्टीमीटर की नाली बनायें ।
बीज सैया खेत से 15 सेन्टीमीटर ऊंची बनायें ।
प्रत्येक क्यारी में 2 से 3 टोकरी गोबर केंचुआ खाद मिलायें ।
उपचारित बीज को 6 बराबर भागों में बांटकर प्रत्येक क्यारी में समान रूप से फैला देवें ।
बीज को गोबर या केंचुआ के बारीक भुरभुरी खाद की पतली पर्त से ढक दें ।
रोपणी की बोनी के उपरांत प्रथम सिंचाई हजारा ( झारे ) से करें ।
