सरसोंअनुसंधान निदेशालय में आयोजित दो दिवसीय कृषि प्रसार कर्मियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में निदेशक डा. धीरजसिंह ने कहा कि खेती की लागत बढ़ रही है। खेती को लाभदायक बनाने के लिए किसानों को एकीकृत खेती अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहिये। खेती से विमुख हो रहे युवाओं से बातचीत करें और खेती में कार्य करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें। विकसित तकनीकों की जानकारी सही समय पर पहुुंचाएं और किसानों को उन्नत तकनीकों को अपनाने के लिए सतत रूप से प्रेरित करें। नई तकनीकों के विकास के बाद उन्हें किसानों द्वारा अपनाने से ही कृशि उत्पादन में बढो़त्तरी होगी। इसलिए कृषि प्रसार कर्मी किसानों की समस्याओं को देखते हुए उपयुक्त फसल प्रबंधन की सिफारिश करें।वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रशिक्षण समन्वयक डा. अशोक शर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि इस निदेशालय के निरन्तर सम्पर्क में रहें और किसानों को राई-सरसों उत्पादन की वैज्ञानिक तकनीकों की जानकारी देने के लिए वैज्ञानिकों की सहायता लें। डा. शर्मा ने कहा कि उन्नत तकनीकों के प्रदर्शन किसानों के खेतों पर लगवाएं ताकि किसान स्वयं अपने खेत पर उत्पादन क्षमता का आंकलन कर सके और उन्नत तकनीक अपना सकें। किसानों की परिस्थिति का विश्लेषण करें उसके संसाधनों, उपलब्ध श्रम, मशीन, मिट्टी, पानी की गुणवत्ता आदि को देखकर ही उपयुक्त खेती, फसल चक्र एवं तकनीकों को अपनाने की सलाह दें।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के आगरा एवं फिरोजाबाद जिले के 40 कृषि प्रसार कर्मियों ने भाग लिया। जिसमें राई-सरसों उत्पादन की स्थिति एवं वैज्ञानिक तकनीकों का उत्पादन बढानें में महत्व, विभिन्न परिस्थितियों की उन्नत किस्में एवं बीज उत्पादन तकनीक, उन्नत शस्य क्रियाएं, समेकित पोषक तत्व एवं जल प्रबन्धन, कीट एवं रोग का समेकित प्रबन्धन, प्रसार शिक्षा के नये आयाम, आदि विषयों पर विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया गया और अधिक जानकारी के लिए प्रायोगिक ज्ञान के लिए प्रशिक्षणार्थियों को निदेशालय के अनुसंधान प्रक्षेत्र का भ्रमण कराया गया।
भरतपुर. प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रमाण पत्र देते अतिथि।
