कस्बेसहित आस पास के गांवों कृषि कुओं से सिंचित जवाई कमांड क्षेत्र के 22 राजस्व गांवों में इस वर्ष किसानों द्वारा बुवाई की गई रबी की फसलों के लिए वर्तमान में दिन दिन बढ़ रही सर्दी का असर वरदान साबित होगा। गांवों में जवाई नहर से सिंचाई का पानी मिलने पर किसानों द्वारा इस वर्ष रबी फसलों में गेहूं , रायड़ा, जीरा, ईसबगोल चने की प्रचुर मात्रा में बुवाई की गई है। इसी के साथ ही कई किसानों द्वारा बारहमासी फसल में अरंडी फसल की खेती भी कर रखी है, मगर एक सप्ताह पहले रबी की फसलों के लिए सर्दी का मौसम अनुकूल नहीं चल रहा था। लेकिन पिछले दो तीन दिनों से जैसे ही सर्दी ने अपना असर दिखाना शुरू किया है। वैसे ही किसानों के चेहरों पर खुशी नजर रही है। गौरतलब है कि रबी फसलों के लिए भरपूर सिंचाई के साथ साथ सर्दी का असर भी पूरा होना चाहिए। जिससे फसलों में नमी बनी रहे और फसलों के उगने में किसी तरह का अवरोध उत्पन्न हो सके। किसानों ने बताया कि जितना सर्दी का असर अधिक होगा उतना ही रबी फसलों में नमी रहने से पैदावार में फायदा होगा।
ज्यादा शीतलहर के असर से जीरा, ईसबगोल अरंडी को नुकसान
नववर्ष के आगाज के साथ ही सर्दी का असर तेज होना रबी फसलों के लिए लाभकारी साबित होगा। लेकिन सर्दी पड़ने के साथ शीतलहर का चलना जीरा, ईसबगोल अरंडी के लिए प्रतिकूल असर होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। कृषि विभाग के अनुसार एक सप्ताह से अधिक शीतलहर का असर जारी रहा तो जीरा, ईसबगोल अरंडी फसलों को इतना नुकसान हो सकता है।
करीब 15-16 हजार बीघा क्षेत्र में की गई है चने की बुवाई
किसानोंद्वारा जहां सिंचाई के स्रोत उपलब्ध है वहां पर गेहूं , रायडा, जीरा, ईसबगोल की जमकर बुवाई की गई है। लेकिन जहां पर सिंचाई का स्रोत उपलब्ध नहीं है ऐसे क्षेत्र जिसमें कंवला गांव के साथ कवराड़ा चांदराई गांव क्षेत्र के आस पास के गांवों में किसानों द्वारा रबी फसलों में चने की फसल की करीब 15-16 हजार बीघा क्षेत्र में बुवाई की गई है। जिसमें कंवला के आस पास के क्षेत्र में करीबन 10 हजार बीघा भूमि में सेवज चने की बुवाई की गई है। चांदराई, कवराड़ा पादरली के आस पास के गांवों में करीबन 5-6 हजार बीघा भूमि में जवाई कमांड क्षेत्र के किसानों द्वारा नहरी सिंचाई से चने की बुवाई की गई है। इसमें कंवला के आस पास के गांवों में जहां बिना सिंचाई के सेवज चने की बुवाई की गई है उसमें सर्दी के अभाव में लट का प्रकोप भी देखने को मिल रहा है। इसके बारे में कृषि विभाग के अधिकारियों की माने तो वर्तमान में सर्दी का बढ़ता असर चने की फसल पर लगी लट को समाप्त करने में सहायक सिद्ध होगा।
सिंचित फसलें अधिक सर्दी सहन करने की रखती है क्षमता
अधिकसर्दी पड़ने पर नवंबर माह के अंतिम दिनों में बुवाई की गई रबी फसलों के लिए गुणकारी साबित होगी। लेकिन नवंबर माह की शुरूआत में जहां मौसम में गर्मी का असर था और उस दौरान किसानों द्वारा बुवाई की गई फसलों के लिए सर्दी का असर विपरीत प्रभाव डालेगा। कई किसानों ने नवंबर माह की शुरूआत में बुवाई कर दी गई थी। उस दौरान मौसम रबी फसलों की बुवाई के लिए अनुकूल नहीं माना जा रहा था। हालांकि उस समय गर्मी का असर रहने पर अधिकतर किसानों ने रायड़े की बुवाई पर ज्यादा जोर दिया था। लेकिन वर्तमान के दिनों में तेज सर्दी नवंबर माह की शुरुआत में बोई गई फसलों पर असर जरूर डालेगी। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रबी फसलों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए समय समय पर भरपूर सिंचाई होनी चाहिए। जिससे सिंचाई से पोषित फसलों के पौधे भी सर्दी के असर को आसानी से झेल सके। वरना सिंचाई का ध्यान नहीं रखा गया तो पौधों में सर्दी सहन करने की क्षमता कम हो जाती है। जिससे फसलों पर रोगों का असर भी होने की संभावना बढ़ जाती है।
^वर्तमान के दिनो में बढ़ रहा सर्दी का असर रबी फसलों के लिए लाभकारी साबित होगा। किसान इस बात का ध्यान जरूर रखे कि फसलों की सिंचाई में कोई कमी नहीं आने दे। वरना सर्दी का असर प्रतिकूल हो सकता है। रही बात शीतलहर असर एक सप्ताह से अधिक रहता है तो जीरा, ईसबगोल अरंडी की फसल पर प्रतिकूल असर देखने को मिल सकते है। इसके लिए सभी संबंधित गांवों के कृषि पर्यवेक्षकों को समय समय पर खेतों में खड़ी फसलों का जायजा लेने के निर्देश दिए है। -खुमाराम मेघवाल, कृषि नोडल अधिकारी, आहोर
^वर्तमान के दिनो में बढ़ रहा सर्दी का असर रबी फसलों के लिए लाभदायी है। सर्दी के दौरान अल सवेरे फसलों पर गिरने वाली ओस से फसलों की जड़ों में नमी बनी रहेगी। जिससे फसलें उन्नत होने के साथ उत्पादन में भी वृद्धिकारक साबित होगी। लेकिन शीतलहर का असर अधिक दिनों तक बना रहता है तो जीरा, ईसबगोल के लिए नुकसानदायी हो सकता है। -शांतिलाल सुथार, प्रगतिशील किसान अगवरी, लालसिंह राजपुरोहित युवा किसान गुडा बालोतान
गुडा बालोतान. कस्बेके एक खेत में खड़ी गेहूं , ईसबगोल एवं रायड़े की फसल। फोटो: भास्कर
