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अनानास की खेती कर किसान ने कृषि विशेषज्ञों को चौंकाया

Posted on December 15, 2020December 15, 2020 By User No Comments on अनानास की खेती कर किसान ने कृषि विशेषज्ञों को चौंकाया

धान और सब्जी की पारंपरिक खेती के बाद अब जिले के किसान फलों की खेती में भी दिलचस्पी लेने लगे हैं। उर्वरा मिट्टी और जलवायु के अनुकूल होने के कारण जिले में कई जगहों पर नए प्रयोग हो रहे हैं। साल्हेओना के एक किसान ने अनानास की खेती में सफलता पाकर विशेषज्ञों का ध्यान खींचा है। कृषि विभाग जिले भर में ऐसी संभावनाओं को लेकर शोध में जुट गया है।

शहर के करीब 14 किलोमीटर दूर साल्हेओना गांव में अरूण साव नामक एक किसान ने पूरे डेढ़ एकड़ जमीन पर दाे हजार अनानास के पौधे लगाए हैं। उन्होंने दैनिक भास्कर की टीम को बताया कि पौधों को छांव की जरूरत रहती है। जिसके कारण अनानास के साथ-साथ मीठा-पत्ती पान, परवल, कुंदरू जैसी बेल वाले फसल भी लगाई है। इस प्रकार की खेती से उन्हें दोहरा लाभ हो रहा है। अनानास के एक पौधे में एक ही बार फल लगता है। पिछले सीजन में जब किसान को पहली फसल मिली तो उसने लगभग 200 अनानास मिले जिसे बाजार में बेचा गया। इसके साथ ही छांव लेने लगाई गई बेलों से पैदा हुई सब्जियों से भी किसान को फायदा हुआ।

साल में ले सकते हैं दो फसल

इसकी खेती बेहद आसान है। किसान एक साल में दो बार इसे नगदी फसल के रुप में ले सकते हैं। इसका फसल चक्र 90 से सौ दिन का होता है। स्थानीय जलवायु और मृदा की उर्वरक क्षमता के अनुरूप ज्यादातर इसे जनवरी से मार्च व मई से जुलाई के बीच लिया जा सकता है। जबकि केरल आंध्र और पश्चिम बंगाल में इसकी खेती 12 महीने की जाती है। अनानास का पौधा कैक्टस प्रजाति का होता है। इसके रखरखाव व प्रबंधन भी बेहद आसान है। इनके पौधों को 15 दिन मं एक बार सिंचाई। उर्वरक में डीएपी, पोटाश और हल्के सुपर यूरिया की आवश्यकता होती है। यह भी भूमि के उर्वरक क्षमता के हिसाब से दिया जाता है। इसके जर्मप्लाज्म से पौधों की संख्या में भी निरंतर बढ़ोत्तरी की जा सकती है।





अनानास से लाभ
अनानास में क्लोरीन की भरपूर मात्रा होती है। साथ ही ये उच्च एंटीआक्सीडेंट का स्रोत है। इसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। पित्त विकारों में विशेष रूप से और पीलिया के यह काफी फायदेमंद है। इसमें प्रचुर मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है। जो हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करता है। एक गिलास जूस के सेवन से दिन भर के लिए आवश्यक मैग्नीशियम के 75 प्रतिशत की पूर्ति होती है। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

ऐसे हुई खेती की शुरुआत- शुरुआत में किसान ने अपने खेत में अनानास के कुछ पौधे बच्चों के खाने के लिए लगाए थे। जिसमें फल के साथ-साथ नए पीके भी निकल आते हैं, इसे उन्होंने आस-पास के स्थानों में लगा दिए। पौधों की बढ़ती संख्या को देख उन्होंने इसकी व्यवसायिक खेती करने का फैसला लिया, और सफलता भी हासिल कर ली।

प्रतिमाह 15 से 16 हजार नग खपत
प्रतिमाह 15 से 16 हजार अनानास की खपत है। थोक फल विक्रेता राजेंद्र साहू ने बताया कि प्रतिदिन जिले में चिल्हर फल विक्रेताओं द्वारा 550 से ज्यादा नग अनानास की खरीदी की जाती है। इसका उपयोग खाने की बजाए जूस में अधिक होता है।

शोध की तैयारी
कृषि विज्ञान केंद्र प्रमुख व विशेषज्ञ डॉ एसपी सिंह बताया कि, अपने स्तर पर जिस तरह से किसान ने यह खेती की है। वह काबिले तारीफ है। उनकी फसल देखने के बाद यह तो साबित हो गया कि क्षेत्र में अनानास पैदावार की अपार संभावनाएं है। इसके लिए केंद्र के विषय विशेषज्ञों द्वारा भौगोलिक परिदृश्य और किसान के फसल का अवलोकन कर दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं। जिसके बाद वे राज्य स्तर शोध का प्रस्ताव कृषि विश्वविद्यालय के समक्ष रखेंगे

कार्बन की कमी
प्रदेश के अधिकांश जिलों में चार प्रकार की मिट्टी पाई जाती है। इसमें प्रमुख रूप से कन्हार, डोमटा, माटासी व भाटा शामिल हैं। रायगढ़ में मटासी भाटा प्रकार की मिट्टी है। यह सॉफ्ट है, सिल्ट की मात्रा भी अधिक है। जिसके कारण पानी पड़ने पर यह चिपचिपा हो जाती है। मुख्य घटक कार्बन और नाइट्रोजन की मात्रा बेहद कम है। पोटाश की मात्रा सामान्य है। यही वजह है कि मिट्टी की उर्वरक क्षमता अन्य जिलों से थोड़े कम है। वहीं जिले का तापमान भी फसलों के लिए अधिक है।

पान के पौधे भी नया प्रयोग – किसान ने करीब सौ बेलें मीठा-पत्ती पान की लगाई हैं। विशेषज्ञ बताते है कि जिले के जलवायु और मृदा की उर्वरक क्षमता के हिसाब से पान की खेती भी संभव नहीं है। हालांकि किसान द्वारा लगाए गए पौधे छोटे हैं। यदि यह पौधे पूर्ण रूप से विकसित होते हैं। तो यह अनानास के लिए काफी लाभदायक होगा।

क्या है, इंटर क्रॉप- एक साथ दो से अधिक प्रकार की फसल इंटर क्रॉप कहलाती है। इस पद्धति के किए गए खेती में प्रबंधन की आवश्यकता कम पड़ती है। यानी खरपतवार, निदाई, कोढ़ाई कम लगते हैं। किसानों को इससे दोहरा लाभ होता है और जोखिम बिल्कुल नहीं होता है। वर्तमान में अधिकांश िसान इसी पद्धति से खेती कर रहे हैं।





कृषि विशेषज्ञ भी खासकर सब्जियों और फलों के लिए इस पद्धति की सलाह देते हैं।

अनानास के फसल में लगे फल के साथ ग्राम साल्हेओना निवासी किसान अरुण कुमार साव

400

नग प्रतिदिन शहर में हो रही खपत

04

राज्यों से अनानास की हो रही सप्लाई

550

नग तक गर्मी बढ़ते ही होती है खपत

90

दिन में हो फसल होती है कंपलिट

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