क्या है परिशुद्ध खेती? – परिशुद्ध खेती विशेष रूप से 1980 के दशक में अमेरिका में विकसित की गयी। सटीक सिंचाई, उचित मात्रा में उर्वरक अनुप्रयोगों, पौधारोपण, कटाई इत्यादि के लिए परिशुद्ध खेती बड़े पैमाने पर अपनायी जा रही है।परिशुद्ध खेती में डिजिटल कृषि प्रौद्योगिकियों द्वारा फसल की उत्पादकता में वृद्धि का प्रयास किया जाता है। इसे “सैटेलाइट फार्मिंग” या “स्थान विशिष्ट फसल प्रबंधन”के रूप में भी जाना जाता है। परिशुद्ध खेती द्वारा कृषि उपज को अधिकतम बनाने के लिए उचित समय पर सटीक और उचित मात्रा में जल, उर्वरक, कीटनाशक आदि का प्रयोग किया जाता है। “सही समय और सही स्थान पर खेती में सही मात्रा में कृषि निविष्टियों का इस्तेमाल करना ही परिशुद्ध खेती है।”
परिशुद्ध खेती को कई उपकरणों द्वारा संचालित किया जाता है इसमें सूचना एवं संचार तकनीक, रोबोटिक्स, ऑटोमेटेड पोजिशिनिग सिस्टम, ड्रोन, वायरलेस नेटवर्क इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता है। ICAR भारतीय कृषि अनुसंधान की ओर से 5 अक्टूबर 2020 को “वैभव (वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक) शिखर सम्मलेन-2020” के भाग के रूप में परिशुद्ध कृषि के अंतर्गत सेंसर और सेंसिंग विषय पर एक सत्र का आयोजन किया गया था। परिशुद्ध खेती भारत की, आत्मनिर्भर भारत के प्रयास को बल देने के लिए विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी के आधार को मजबूत बनाने की एक पहल है।
परिशुद्ध खेती में उपयोग होने वाली तकनीक –
GPS (Global Positioning System) – जीपीएस लैस उपकरण किसानों की कृषि गतिविधियों को अधिक उत्पादक और कुशल बनाने में सहायक होता है। इसकी सहायता से किसान खेत में अलग-अलग स्थानों का चुनाव कर वहाँ पर जाकर मिट्टी के सैंपल इकठ्ठा कर सकता है और फसल की स्थिति की निगरानी कर सकता है।
GIS (Geographic Information Systems) – यह नक़्शे को बनाने के लिए स्थानीय आंकड़ों एवं उस स्थान की भौगोलिक विषेशताओं का प्रयोग करता है। GIS पैदावार, उपज, नक़्शे आदि की जानकारी को संचित करता है।
Variable Rate Technology – यह उन मशीनों का वर्णन करता है जो स्वचालित रूप से अपनी स्थान स्तिथि के अनुसार अपने प्रयोग दरों में परिवर्तन कर सकता है। इस टेक्नोलॉजी द्वारा पौधों की वृद्धि, मिट्टी के पोषक तत्वों और प्रकार में विविधताओं के अनुसार मशीन पर प्रचाल जैसे – कीटनाशक, बीज, पानी की सिंचाई, उर्वरक को अनुकूलित करके उपयोग किया जाता है।
Yield Mapping – इस टेक्नोलॉजी में कटाई के बाद खेत में विभिन्न जगहों पर अनाज की मात्रा को मापता है और कटाई मशीन की स्तिथि को रिकॉर्ड करता है।
Remote Sensing – इसके द्वारा मिट्टी और फसल स्वास्थ्य के मूल्यांकन के लिए आँकड़े एकत्रित किये जाते है। फसल प्रबंधन के लिए यह महत्वपूर्ण है की फसल की अवस्था की किसी भी परिवर्तन का जल्द ही पता चल सके।
भारत में परिशुद्ध खेती – भारत में कृषि उत्पादकता 33% है। परिशुद्ध खेती से किसान कम मेहनत के साथ ज़मीन के एक ही टुकड़े से अधिक उत्पादकता प्राप्त कर सकते है। इस खेती में छोटे खेतों के लिए छोटे रोबोट एवं मशीनरी का उपयोग किया जा सकता है यह मशीनें बायो गैस, जैव तेल इत्यादि द्वारा संचालित किये जा सकते है। परिशुद्ध खेती के लिए किसान मशीनों को किराये पर ले सकते है कई कृषि मशीनरी लीजिंग एजेंसियों द्वारा मशीने प्रति घंटे के हिसाब से किराये पर देती है। भारत में कई किसान ऐसी एजेंसिओ द्वारा उपलब्ध कराई गयी मशीनों का उपयोग कर रहे है जिससे उन्हें नयी मशीने नहीं खरीदनी पड़ती और लागत में कमी आती है। पंजाब और हरियाणा ऐसे राज्य है जिनमें मशीनीकरण अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है।
परिशुद्ध खेती के लाभ –
1) परिशुद्ध खेती से खाद्य समस्या का समाधान किया जा सकता है।
2) परिशुद्ध खेती आय को दोगुनी करने में सहायक होगी।
3) परिशुद्ध खेती फसल की अधिक उपज में सहायक होगी।
