पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की खेती..पॉलीहाउस में किसान आजकल रंगीन शिमला मिर्च उगा रहे हैं जो महानगरों व छोटे शहरों में अच्छी कीमत पर बिक जाती है तथा किसान अधिक आमदनी अर्जित कर रहें है। शिमला मिर्च के सकल उत्पादन के लिए आवश्यक है कि पॉलीहाउस उत्पादक ऐसी संकर किस्मों का चयन करें जिनका आकार अच्छा हो तथा चार लोब हो एवं आकार घंटीनुमा हो।
चयनित प्रजातियों में अच्छी अवधि तक मंडीकरण योग्य फल देने की क्षमता का होना आवश्यक है। किसानों को चाहिए कि वे शिमला मिर्च की संकर प्रजाति को उगाने से पहले क्षेत्र के अन्य पॉलीहाउस उत्पादकों से विचार-विमर्श अवश्य करें ताकि उनसे अच्छी पैदावार देने वाली संकर किस्मों का व्यवहारिक ज्ञान हो।
क्यारी बनाना : 85-100 से.मी. चौड़ी तथा 25-20 से.मी. ऊँची क्यारियाँ बनानी चाहिए और दो क्यारियों के बिच की दुरी 50 से.मी. रखनी चाहिए जिससे काम करने में आसानी हो। क्यारियों को रोगाणु रहित बनाने के लिए 5% फॉर्मलीन 40% का घोल बनाकर उसे 3-4 लीटर प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से डालकर ड्रैंच करें। पौध रोपण तभी करें जब फार्मलीन की गंध समाप्त हो जाये।
पौध तैयार करना एवं रोपाई : शिमला मिर्च का बीज महंगा होने के कारण पौध संरक्षित तरिके से पॉलीहाउस में मिट्टी रहित प्लास्टिक ट्रे में तैयार करनी चाहिए व जमीन से उठी हुई क्यारियों में से जो पहले से उपचारित हो तथा इसे कीटरोधी नेट द्वारा अच्छी तरह ढका गया हो का उपयोग किया जा सकता हैं। 20-25 दिनों में तैयार पौध को अच्छी तरह से तैयार भूमि में उठी हुई क्यारियों में रोपाई करें। निचले एवं मध्यवर्गीय क्षेत्रों में पूरे वर्ष में शिमला मिर्च की रोपाई जनवरी-फरवरी और जुलाई-अगस्त दो बार कर सकते हैं। लेकिन ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों में मार्च-अक्टुम्बर तक शिमला मिर्च की पौध की रोपाई लाइनों में करें जिनकी दुरी 40 से 50 से.मी. और पौध से पौध की दुरी 30 से 40 से.मी. रखें।
सिंचाई एवं फर्टिगेशन : पॉलीहाउस या नेट हॉउस में उगाई गई फसल में ड्रिप विधि से सिंचाई व उर्वरक देना ठीक रहता हैं। गर्मियों में प्रत्येक दिन सर्दियों में हर दूसरे दिन सिंचाई करनी चाहिए। पानी में कोई भी घुलनशील मिश्रित खाद या उर्वरक जैसे पॉलिफिड (19:19:19) 1.5की.ग्रा. प्रति 100 वर्ग मीटर की दर से सप्ताह में दो बार सिंचाई के साथ करें। फर्टिगेशन रोपाई के बाद तीसरे सप्ताह में शुरू करें व अंतिम तोड़ाई से 15 दिन पहले बंद कर दें। यदि पॉलिफिड 19:19:19) एन.पी.के. का प्रयोग करें तो 2.0-2.2 ग्राम प्रति वर्गमीटर की दर से सप्ताह में दो बार पानी का घोल प्रत्येक फर्टिगेशन के लिए उपयुक्त हैं। 7 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी तथा प्रत्येक पौधे के साथ अवस्था के अनुसार 100 से 250 मि.लीटर घोल डालें।
पौधों की कटाई, छटाई तथा सहारा देना :
1- प्रजाति के अनुसार 9 से 13 पत्ते आने के बाद मुख्य फूल या क्राउन वड को निकल दें।
2- पॉलीहाउस की ऊंचाई के अनुसार 2 या 4 टहनियां या शाखाएँ रखें।
3- प्रत्येक नोक पर एक फूल या दो पत्तें रखें बाकि फूल या पत्ते निकाल दें तथा अतिरिक्त शाखाओं की निरंतर कटाई या छटाई करें।
4- प्रत्येक शाखा को नारियल की रस्सी या सुतली से लपेटे तथा इसी के सहारे ऊपर की दिशा में रस्सी या सूतली को घुमाते हुये ट्रेनिंग करें।
