मटर एक बेमौसमी सब्जी है जो सालभर उगाई जा सकती है, लेकिन सर्दियों के दिनों में मटर की सब्जी हमारे देश में प्रमुखता से उगाई जाती है. सर्दियों के दिनों में हरा मटर सब्जियों के स्वाद को दोगुना कर देता है. वही सब्जियों के अलावा भी मटर कई पकवानों को बनाने में उपयोगी होता है. रबी सीजन में मटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है. तो आइए जानते हैं मटर की फसल में सिंचाई, खरपतवार और कीट व रोग प्रबंधन कैसे करें……..मटर की फसल के लिए सिंचाई प्रबंधन(Irrigation management for pea crop)
मटर की बुवाई खेत को पलेवा करके बोना चाहिए. इसके बाद 10 से 12 दिन के अंतराल पर सिंचाई कर सकते हैं जो कि भूमि और बारिश पर निर्भर करती है. मटर की फसल के लिए 2 से 3 सिंचाई की जरूरत पड़ती है. अच्छी पैदावार के लिए पहली सिंचाई बुवाई से पहले ही कर देना चाहिए. वही दूसरी सिंचाई फूल आने के बाद और तीसरी सिंचाई फलियां आने के बाद करना चाहिए. बता दें कि मटर की फसल में अधिक सिंचाई नुकसानदायक होती है. इससे पौधे की जड़े सड़ने और पीले पड़ने की संभावना रहती है.
मटर की खेती के लिए खरपतवार प्रबंधन(Weed Management for Pea Cultivation)
अच्छी पैदावार के लिए मटर की फसल की 1 से 2 बार निराई गुड़ाई करना अत्यंत आवश्यक होता है. पहली निराई गुड़ाई बुवाई के 2 से 3 सप्ताह बाद करना चाहिए और खेत से अनावश्यक खरपतवार निकाल देना चाहिए. वहीं दूसरी निराई गुड़ाई फूल आने से पहले करना चाहिए. साथ ही इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि खेत की मेढ़ उग आए खरपतवारों को भी निकाल देना चाहिए.
