वैज्ञानिकों द्वारा हमेशा यही सलाह दी जाती है कि कम्पोस्ट बनाने के लिए गाजर घास को फूल आने से पहले उखाड़ लेना चाहिए। बिना फूल वाली गाजर घास का कम्पोस्ट खाद बनाने में इस्तेमाल बिना किसी डर के नाडेप तकनीक या खुला गड्ढा तकनीक द्वारा किया जा सकता है।
गाजरघास के सर्दी-गर्मी के प्रति असंवेदनशील बीजों में सुषुप्तावस्था न होने की वजह से एक ही समय में फूल वाले और बिना फूल के गाजर घास के पौधे खेतों में पैदा होते हैं। निराई-गुडाई करते समय फूल वाले पौधों को उखाड़ना भी जरूरी हो जाता है। फिर भी किसानों को गाजर घास को कम्पोस्ट बनाने में इस्तेमाल करने के लिए यह कोशिश करनी चाहिए कि वे उसे ऐसे समय उखाड़े, जब फूलों की मात्रा कम हो। जितनी छोटी अवस्था में गाजर घास को उखाड़ेंगे, उतनी ही ज्यादा अच्छी कम्पोस्ट खाद बनेगी और उतनी ही फसल की उत्पादकता बढ़ेगी।
ऐसे बनाए खाद
अपने खेत में थोड़ी ऊंचाई वाली जगह पर, जहाँ पानी जमा न हो, 3x6x10 फुट (गहराई x चौड़ाई xलम्बाई ) आकार का गड्ढा बना लें। अपनी सहूलियत और खेत में गाजर घास की मात्रा के मुताबिक लम्बाई-चौड़ाई कम कर सकते हैं, लेकिन गहराई 3 फुट से कम नहीं होने पाएंगे।
अगर मुमकिन हो सके तो गड्ढे की सतह और साइड की दीवारों पर पत्थर की चीपें इस तरह लगाएं कि कच्ची जमीन का गड्ढा एक पक्का टांका बन जाए। इसका फायदा यह होगा कि कम्पोस्ट के पोषक तत्व गड्ढे की जमीन नहीं सोख पाएगी।
अगर चीपों का इंतजाम न हो पाए, तो गड्ढे के फर्श और दीवार की सतह को मुगदर से अच्छी तरह पीट कर समतल कर लें।
खेतों की फसलों को बीच से, मेंड़ों और आस-पास की जगहों से गाजर घास को जड़ के साथ उखाड़कर गड्ढे के पास इकट्ठा कर लें।
गड्ढे के पास ही 75 से 100 किलोग्राम कच्चा गोबर, 5-10 किलोग्राम यूरिया या रौक फास्फेट की बोरी, 1 या 2 क्विंटल भुरभुरी मिट्टी और एक पानी के ड्रम का इंतजाम कर लें।
तकरीबन 50 किलोग्राम गाजरघास को गड्ढे को पूरी लम्बाई चौड़ाई में सतह पर फैला लें।
5-7 किलोग्राम गोबर को 20 लीटर पानी में घोल बनाकर उसका गाजरघास की परत पर छिड़काव करें।
इसके ऊपर 500 ग्राम यूरिया या 3 किलोग्राम रौक फास्फेट का छिड़काव करें।
ट्राइकोडर्मा विरिडि या ट्राइकोडर्मा हार्जीनिया नामक कवच के कल्चर पाउडर को 50 ग्राम प्रति परत के हिसाब से डाल दें। इस कवक कल्चर को डालने से गाजरघास के बड़े पौधों का अपघटन भी तेजी से हो जाता है और कम्पोस्ट जल्दी बनती है।
इन सब मिलाए हुए अवयवों को एक परत या लेयर मान लें।
इसी तरह एक परत के ऊपर दूसरी, तीसरी और अन्य परत तब तक बनाते जाएं, जब तक गड्ढा ऊपरी सतह से एक फुट ऊपर तक न भर जाए, ऊपरी सतह की परत इस तरह दबाएं कि सतह गुंबद के आकार की हो जाए, परत जमाते समय गाजर घास को अच्छी तरह दबाते रहना चाहिए।
यहां पर गाजरघास को जड़ से उखाड़ कर परत बनाने को कहा गया है। जड़ को उखाड़ते समय जड़ों के साथ ही काफी मिट्टी आ जाती है। अगर आप महसूस करते हैं कि जड़ों में मिट्टी ज्यादा है, तो 10-12 किलोग्राम भुरभुरी मिट्टी प्रति परत की दर से डालनी चाहिए।
अब इस तरह भरे गड्ढे को गोबर मिट्टी, भूसा वगैरह के मिश्रण से अच्छी तरह बंद कर दें। 5-6 महीने बाद गड्ढा खोलने पर अच्छी खाद हासिल होती है।
यहां बताए गए गड्ढे में 37 से 42 क्विंटल ताजा उखाड़ी गाजर घास आ जाती है, जिससे 37 से 45 फीसदी तक कम्पोस्ट हासिल हो जाती है।
