Skip to content
  • उत्तराखंड सरकार
  • Government of Uttarakhand
Rajya Kisan Ayog

Rajya Kisan Ayog

राज्य किसान आयोग, उत्तराखण्ड

  • Home
  • About Us
  • Blog
  • Contact Us
  • Ayog Meeting
  • Meeting With Farmers
  • Scheme Exclusion
  • Guidelines
  • FAQ
  • अन्य लिंक
  • Toggle search form

पालक कैसे उगाएं – बीज बोने से लेकर फसल की कटाई तक

Posted on December 10, 2020 By User No Comments on पालक कैसे उगाएं – बीज बोने से लेकर फसल की कटाई तक


व्यावसायिक रूप से पालक की खेती के लिए मार्गदर्शक

कुछ शब्दों में कहा जाए तो व्यावसायिक रूप से पालक की खेती करने वाले लगभग सभी किसान, पतझड़ या वसंत के दौरान सीधे खेत में पालक के बीज (ज्यादातर संकर) बोते हैं। इसके बाद विशेष रूप से, प्रसंस्करण बाजार के लिए पालक उगाते समय, ज्यादातर व्यावसायिक किसान पौधों को कम कर देते हैं (वे कुछ पौधों को खेत से हटा देते हैं, ताकि कम पौधे बचे रहें और बेहतर वायु संचार हो सके)। ज्यादातर मामलों में खाद, स्प्रिंकलर सिंचाई और कीट प्रबंधन का प्रयोग किया जाता है। कटाई का समय इस बात पर निर्भर करता है कि हम पालक को ताज़े बाजार के लिए उगा रहे हैं या प्रसंस्करण बाजार के लिए। कई मामलों में, ताज़ा बाजार के लिए उगाये जाने वाले पालक के पौधों को बीज लगाने के लगभग 40-55 दिनों में ही एक बार में काट दिया जाता है (पूरा पौधा नष्ट हो जाता है)। इसके विपरीत, प्रसंस्करण बाजार के लिए उगाये जाने वाले पालक के पत्तों को बीजारोपण के लगभग 60-80 दिनों में काटा जाता है। कई मामलों में, पहली बार कटाई करने के बाद दोनों ताज़ा और संसाधित पौधों (लेकिन ज्यादातर प्रसंस्करण बाजार वाले पौधों को) को दोबारा बढ़ने के लिए छोड़ दिया जाता है ताकि किसान दूसरी बार फसल की कटाई कर सकें।
पालक की मिट्टी संबंधी आवश्यकताएं

पालक औसत मिट्टी में अच्छी तरह से उग सकता है, लेकिन जैविक पदार्थों से भरपूर मिट्टी में यह ज्यादा अच्छे से विकसित होगा। आमतौर पर, पालक उगाते समय मिट्टी का प्रकार और पीएच शायद ही कभी प्रतिबंधी कारक बनते हैं। हालाँकि, कई किसानों ने बताया है कि 6,5 से 6,8 पीएच वाली रेतीली दोमट मिट्टी में पालक ज्यादा अच्छी तरह से विकसित होता है। फॉस्फोरस की गंभीर कमियों के मामले में, किसान बीज बोने से कुछ दिन पहले प्रति हेक्टेयर 50 किग्रा की दर से P2O5 डाल सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि हर खेत और इसकी जरूरतें अलग होती हैं। पौधे लगाने से पहले किसानों को मिट्टी का विश्लेषण कर लेना चाहिए। खेत तैयार करने के लिए तार्किक योजना बनाने के लिए वो किसी स्थानीय लाइसेंस प्राप्त कृषि विज्ञानी से भी सलाह ले सकते हैं। नाइट्रोजन का स्तर सुधारने के लिए, कुछ किसान बीज लगाने से पहले अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद भी डालते हैं और खेत की जुताई करते हैं। हालाँकि, इस बात का ध्यान रखें कि ये केवल कुछ सामान्य पैटर्न हैं जिनका आपको अपना खुद का शोध किये बिना पालन नहीं करना चाहिए।

पालक की पानी संबंधी जरूरतें

पालक के पौधे की जड़ें बहुत ज्यादा नीचे तक नहीं जाती हैं। इसीलिए, अच्छी उपज पाने के लिए, इस पौधे को कम मात्रा में ज्यादा बार सिंचाई पसंद होती है। एक सामान्य नियम के अनुसार, इसे उगाने की अवधि के दौरान किसानों को मिट्टी को नम रखने पर फोकस करना चाहिए। अनुभवी किसानों का दावा है कि मिट्टी को हमेशा नम रखने से पौधे को दो तरीके से मदद मिलती है। पहला, पौधा आवश्यक पानी सोखने में समर्थ होगा। दूसरा, इससे मिट्टी का तापमान कम रहेगा, और जिससे ज्यादा अच्छी पालक की उपज होगी।ज्यादा गर्म मौसम में पालक बीज देना शुरू कर देता है। ऐसी स्थिति में, पौधे आनुवंशिक रूप से अपने संसाधनों को पत्तियों के विकास के बजाय बीज के उत्पादन में लगाने के लिए बने होते हैं। इसलिए, इस उत्पाद को नहीं बेचा जा सकता है। ज्यादातर मामलों में, पहले दो सप्ताह के दौरान, प्रति सप्ताह तीन से चार सिंचाई सत्र हो सकते हैं। किसानों को सुबह जल्दी या दोपहर में देर से सिंचाई करने का सुझाव दिया जाता है। इससे सूरज की गर्मी से होने वाले पानी के वाष्पीकरण को रोका जा सकता है।

दुनिया के आधे से ज्यादा पालक उत्पादन को स्प्रिंकलर के माध्यम से सिंचा जाता है। हालाँकि, कुछ मामलों में, ज्यादा स्प्रिंकलर सिंचाई से पत्तियों पर धब्बों का रोग उत्पन्न हो सकता है।

Post

Post navigation

Previous Post: चावल की फसलों म पोषण तत्व- चावल के पौधे म खाद डालना
Next Post: पालक लगाना; स्वस्थ और हरे-भरे पालक कैसे उगाएं

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

News & Updates

The First Meeting is being conducted on 02/08/2021.

National Website

  •  National portal of India
  •  Ministry of Comm. & IT
  •  Portal for Public Grievances
  •  Government Web Guidelines
  •  National Knowledge Network

Uttarakhand Govt. Websites

  •  Election Commission of India
  •  Chief Electoral Officer – Uttarakhand
  •  Uttarakhand Tourism Development Board
  •  Uttarakhand Government Orders
  •  Uttarakhand Transport Corporation (UTC)

Citizen Services

  •  e-District Jan Seva Kendra
  •  Tax Department
  •  e-Tendering System
  •  Court Cases
  •  MDDA

State at a Glance

  •  Governor
  •  Chief Minister
  •  Raj Bhawan
  •  uttarakhand vidhan sabha
  •  Uttarakhand State AIDS Control Society

Copyright © 2025 Rajya Kisan Ayog.

Powered by Uttarakhand Rajya Kisan Ayog

Complaint
Enquiry
Suggestion Box
Subscribe

If you opt in above we use this information send related content, discounts and other special offers.